Friday 17 May 2013

कविता दिल से

गान्धी से जिन्ना ने जो भी मांगा वो सम्मान दिया |
भारत माता का बन्टवारा सहकर पाकिस्तान दिया ||

लेकिन चन्द महीनों मे ही तुम औकात दिखा बैठे |
काश्मीर पर हमला करके अपनी जात दिखा बैठे ||

नेहरु गांधी की एक भूल का ये अन्जाम हुआ देखो |
साँप गले मे पडा हुआ है ये परिणाम हुआ देखो ||

हमने ढाका जीता भारत का झन्डा गङ सकता था |
दर्रा हाजी पीर जीतकर भी भारत अङ सकता था ||

लेकिन हम तो ताशकंद के समझौते मे छले गये |
और हमारे लाल बहादुर इस दुनिया से चले गये ||

पाक धरा से मिट ही जाता मौक़े टाल दिए हमने |
लाखों कैदी भुट्टो की झोली मे डाल दिए हमने ||

हम एटमी ताकत होकर भी भी लाहौर गये बस मे |
हमने शिमला समझौते की कभी नही तोडी कसमे ||

फिर भी बार- बार हमलों से भारत घायल होता है |
मै दिल्ली से पूछ रही हूँ आखिर ये क्यों होता है ||

उत्तर कहीं नही मिलता है शर्मसार हो जाता हूँ |
इसी लिए मै कविता को हथियार बनाकर गाती हूँ ||

#सूजाता पाटिल, मुम्बई पुलिस इंस्पेक्टर

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