Tuesday 28 May 2013

प्लास्टिक सर्जरी


प्लास्टिक सर्जरी (Plastic Surgery) जो आज की सर्जरीry की दुनिया मे आधुनिकतम विद्या है इसका अविष्कार भारत मे हुअ है| सर्जरी का अविष्कार तो हुआ हि है प्लास्टिक सर्जरी का अविष्कार भी यहाँ हि हुआ है| प्लास्टिक सर्जरी मे कहीं की प्रचा को काट के कहीं लगा देना और उसको इस तरह से लगा देना की पता हि न चले यह विद्या सबसे पहले दुनिया को भारत ने दी है|

1780 मे दक्षिण भारत के कर्णाटक राज्य के एक बड़े भू भाग का राजा था हयदर अली| 1780-84 के बीच मे अंग्रेजों ने हयदर अली के ऊपर कई बार हमले किये और एक हमले का जिक्र एक अंग्रेज की डायरी मे से मिला है| एक अंग्रेज का नाम था कोर्नेल कूट उसने हयदर अली पर हमला किया पर युद्ध मे अंग्रेज परास्त हो गए और हयदर अली ने कोर्नेल कूट की नाक काट दी|

कोर्नेल कूट अपनी डायरी मे लिखता है के “मैं पराजित हो गया, सैनिको ने मुझे बन्दी बना लिया, फिर मुझे हयदर अली के पास ले गए और उन्होंने मेरा नाक काट दिया|” फिर कोर्नेल कूट लिखता है के “मुझे घोडा दे दिया भागने के लिए नाक काट के हात मे दे दिया और कहा के भाग जाओ तो मैं घोड़े पे बैठ के भागा| भागते भागते मैं बेलगाँव मे आ गया, बेलगाँव मे एक वैद्य ने मुझे देखा और पूछा मेरी नाक कहाँ कट गयी? तो मैं झूट बोला के किसीने पत्थर मार दिया, तो वैद्य ने बोला के यह पत्थर मारी हुई नाक नही है यह तलवार से काटी हुई नाक है, मैं वैद्य हूँ मैं जानता हूँ| तो मैंने वैद्य से सच बोला के मेरी नाक काटी गयी है| वैद्य ने पूछा किसने काटी? मैंने बोला तुम्हारी राजा ने काटी| वैद्य ने पूछा क्यों काटी तो मैंने बोला के उनपर हमला किया इसलिए काटी|फिर वैद्य बोला के तुम यह काटी हुई नाक लेके क्या करोगे? इंग्लैंड जाओगे? तो मैंने बोला इच्छा तो नही है फिर भी जाना हि पड़ेगा|”

यह सब सुनके वो दयालु वैद्य कहता है के मैं तुम्हारी नाक जोड़ सकता हूँ, कोर्नेल कूट को पहले विस्वास नही हुआ, फिर बोला ठेक है जोड़ दो तो वैद्य बोला तुम मेरे घर चलो| फिर वैद्य ने कोर्नेल को ले गया और उसका ऑपरेशन किया और इस ऑपरेशन का तिस पन्ने मे वर्णन है| ऑपरेशन सफलता पूर्वक संपन्न हो गया नाक उसकी जुड़ गयी, वैद्य जी ने उसको एक लेप दे दिया बनाके और कहा की यह लेप ले जाओ और रोज सुबह शाम लगाते रहना| वो लेप लेके चला गया और 15-17 दिन के बाद बिलकुल नाक उसकी जुड़ गयी और वो जहाज मे बैठ कर लन्दन चला गया|

फिर तिन महीने बाद ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे खड़ा हो कोर्नेल कूट भाषण दे रहा है और सबसे पहला सवाल पूछता है सबसे के आपको लगता है के मेरी नाक कटी हुई है? तो सब अंग्रेज हैरान होक कहते है अरे नही नही तुम्हारी नाक तो कटी हुई बिलकुल नही दिखती| फिर वो कहानी सुना रहा है ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे के मैंने हयदर अली पे हमला किया था मैं उसमे हार गया उसने मेरी नाक काटी फिर भारत के एक वैद्य ने मेरी नाक जोड़ी और भारत की वैद्यों के पास इतनी बड़ी हुनर है इतना बड़ा ज्ञान है की वो काटी हुई नाक को जोड़ सकते है|

फिर उस वैद्य जी की खोंज खबर ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे ली गयी, फिर अंग्रेजो का एक दल आया और बेलगाँव की उस वैद्य को मिला, तो उस वैद्य ने अंग्रेजो को बताया के यह काम तो भारत के लगभग हर गाँव मे होता है; मैं एकला नहीं हूँ ऐसा करने वाले हजारो लाखों लोग है| तो अंग्रेजों को हैरानी हुई के कोन सिखाता है आपको ? तो वैद्य जी कहने लगे के हमारे इसके गुरुकुल चलते है और गुरुकुलों मे सिखाया जाता है|

फिर अंग्रेजो ने उस गुरुकुलों मे गए उहाँ उन्होंने एडमिशन लिया, विद्यार्थी के रूप मे भारती हुए और सिखा, फिर सिखने के बाद इंग्लॅण्ड मे जाके उन्होंने प्लास्टिक सर्जरी शुरू की| और जिन जिन अंग्रेजों ने भारत से प्लास्टिक सर्जरी सीखी है उनकी डायरियां हैं| एक अंग्रेज अपने डायरी मे लिखता है के ‘जब मैंने पहली बार प्लास्टिक सर्जरी सीखी, जिस गुरु से सीखी वो भारत का विशेष आदमी था और वो नाइ था जाती का| मने जाती का नाइ, जाती का चर्मकार या कोई और हमारे यहाँ ज्ञान और हुनर के बड़े पंडित थे| नाइ है, चर्मकार है इस आधार पर किसी गुरुकुल मे उनका प्रवेश वर्जित नही था, जाती के आधार पर हमारे गुरुकुलों मे प्रवेश नही हुआ है, और जाती के आधार पर हमारे यहाँ शिक्षा की भी व्यवस्था नही था| वर्ण व्यवस्था के आधार पर हमारे यहाँ सबकुछ चलता रहा| तो नाइ भी सर्जन है चर्मकार भी सर्जन है| और वो अंग्रेज लिखता है के चर्मकार जादा अच्चा सर्जन इसलिए हो सकता है की उसको चमड़ा सिलना सबसे अच्छे तरीके से आता है|

एक अंग्रेज लिख रहा है के ‘मैंने जिस गुरु से सर्जरी सीखी वो जात का नाइ था और सिखाने के बाद उन्होंने मुझसे एक ऑपरेशन करवाया और उस ऑपरेशन की वर्णन है| 1792 की बात है एक मराठा सैनिक की दोनों हात युद्ध मे कट गए है और वो उस वैद्य गुरु के पास कटे हुए हात लेके आया है जोड़ने के लिए| तो गुरु ने वो ऑपरेशन उस अंग्रेज से करवाया जो सिख रहा था, और वो ऑपरेशन उस अंग्रेज ने गुरु के साथ मिलके बहुत सफलता के साथ पूरा किया| और वो अंग्रेज जिसका नाम डॉ थॉमस क्रूसो था अपनी डायरी मे कह रहा है के “मैंने मेरे जीवन मे इतना बड़ा ज्ञान किसी गुरु से सिखा और इस गुरु ने मुझसे एक पैसा नही लिया यह मैं बिलकुल अचम्भा मानता हूँ आश्चर्य मानता हूँ|” और थॉमस क्रूसो यह सिख के गया है और फिर उसने प्लास्टिक सेर्जेरी का स्कूल खोला, और उस स्कूल मे फिर अंग्रेज सीखे है, और दुनिया मे फैलाया है| दुर्भाग्य इस बात का है के सारी दुनिया मे प्लास्टिक सेर्जेरी का उस स्कूल का तो वर्णन है लेकिन इन वैद्यो का वर्णन अभी तक नही आया विश्व ग्रन्थ मे जिन्होंने अंग्रेजो को प्लास्टिक सेर्जेरी सिखाई थी|

अगर आप पूरी पोस्ट नही पड़ सकते तो यहाँ Click करें: राजीव दीक्षित Rajiv Dixit
http://www.youtube.com/watch?v=ZO-bpE9NYUA

आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद्
वन्देमातरम
भारत माता की जय

Sunday 26 May 2013

भोजन करने सम्बन्धी कुछ जरुरी नियम

भोजन करने सम्बन्धी कुछ जरुरी नियम
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१ पांच अंगो ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे !
२. गीले पैरों खाने से आयु में वृद्धि होती है !
३. प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है !किउंकि पाचन क्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 ० घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2 : 3 0 घंटे पहले तक प्रवल रहती है
४. पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुह करके ही खाना चाहिए !
५. दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है !
६ . पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है !
७. शैय्या पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे वर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिए !
८. मल मूत्र का वेग होने पर,कलह के माहौल में,अधिक शोर में,पीपल,वट वृक्ष के नीचे,भोजन नहीं करना चाहिए !
९ परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए !
१०. खाने से पूर्व अन्न देवता , अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के , उनका धन्यवाद देते हुए , तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो इस्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए !
११. भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले ३ रोटिया अलग निकाल कर ( गाय , कुत्ता , और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालो को खिलाये !
१२. इर्षा , भय , क्रोध, लोभ ,रोग , दीन भाव,द्वेष भाव,के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है !
१३. आधा खाया हुआ फल , मिठाईया आदि पुनः नहीं खानी चाहिए !
१४. खाना छोड़ कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए !
१५. भोजन के समय मौन रहे !
१६. भोजन को बहुत चबा चबा कर खाए !
१७. रात्री में भरपेट न खाए !
१८. गृहस्थ को ३२ ग्रास से ज्यादा न खाना चाहिए !
१९. सबसे पहले मीठा , फिर नमकीन , अंत में कडुवा खाना चाहिए !
२०. सबसे पहले रस दार , बीच में गरिस्थ , अंत में द्राव्य पदार्थ ग्रहण करे !
२१. थोडा खाने वाले को --आरोग्य , आयु , बल , सुख, सुन्दर संतान , और सौंदर्य प्राप्त होता है !
२२. जिसने ढिढोरा पीट कर खिलाया हो वहा कभी न खाए !
२३. कुत्ते का छुवा , रजस्वला स्त्री का परोसा , श्राध का निकाला , बासी , मुह से फूक मरकर ठंडा किया , बाल गिरा हुवा भोजन , अनादर युक्त , अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करे !
२४. कंजूस का, राजा का,वेश्या के हाथ का,शराब बेचने वाले का दिया भोजन कभी नहीं करना चाहिए
यह नियम आप जरुर अपनाये और फर्क देखें

Friday 24 May 2013

बल-बुद्धिनाशक चाय नहीं,आयुर्वेदिक चाय लें



बल-बुद्धिनाशक चाय नहीं,आयुर्वेदिक चाय लें

* चाय वीर्य को पतला बना देती है |

-महात्मा नारायण स्वामी

* चाय ने हमारे हजारों स्त्री-पुरषों की भूख उड़ा दी है |

-गाँधी

* चाय-कॉफी से बुद्धि का नाश होता है |

-स्वामी दयानंद सरस्वती

* चाय से अनिद्रा-रोग होता है, स्मरणशक्ति नष्ट होती है तथा मूत्राशय कमजोर हो जाता है |

-एडमंड शेफोटसबरी

* चाय पीने से थकावट मिटती नहीं अपितु बढ़ती है |

-डॉ. खिस कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय

* चाय से नासूर पैदा होता है |

-डॉ. हंसकेसर वोंशिन्ग्टन (अमेरिका)

* चाय पीने से पेट की गड़बड़ियाँ बढ़ रही हैं |

-डॉ. कार्तिकेय बोस

* चाय पीने से नेत्रों के नीचे कालापन और मानसिक उदासी छा जाती है |

-डॉ. जे डब्ल्यू. मार्टिन

* चाय के बाद पेशाब में यूरिक एसिड दुगना हो जाता हैं |

-प्रो. मेंडल

* बच्चों को चाय पिलाना शराब पिलाने से भी अधिक हानिकारक हैं |

-डॉ. लीला क्लाइस्ट

* दिन में तीन कप चाय पीने से मासंपेशियों में खिंचाव, सनायुरोग, चिंता, भय, ह्रदयकम्प तथा मस्तिष्क के रोग हो जाते हैं|

-डॉ. गिनमैन (अमेरिका)

* चाय-कॉफी से रक्तचाप बढ़ता है |

-मारिस फिशबेन

* चाय-कॉफी का अधिक सेवन करनेवालों को स्वप्नदोष आदि बिमारियाँ हो जाती हैं |

-हेरी मिलर

* चाय पीने से कब्ज होता है |

-डॉ. ब्लाड

खाली पेट चाय-कॉफी से धातुनाश होता है, कमर कमजोर होती है, गुर्दे और वीर्यग्रंथियों को नुकसान पहुँचता है तथा ओज क्षीण व वीर्य पतला हो जाता है | अगर वीर्य ही पतला हो गया, ओज ही क्षीण हो गया तो इससे बड़ा घाटा और क्या हो सकता है? अत: सावधान! अपने और दूसरों के स्वास्थ्य की रक्षा करें, चाय से खुद बचें व दूसरों को बचायें |

आयुर्वेदिक चाय

लाभ: इस पेय के सेवन से शारीर में स्फूर्ति व मस्तिष्क में शक्ति आती है | पाचनक्रिया में सुधार होता है और भूख बढ़ती है | सर्दी, बलगम, खांसी, दमा, श्वास, कफजन्य ज्वर और न्युमोनिया जैसे रोग होने की सम्भावना कम हो जाती है | इसे 'ओजस्वी चाय' नाम दें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी |

सामग्री: (१) गुलबनपशा २५ ग्राम

(२) छाया में सुखाये हुए तुलसी के पत्ते २५ ग्राम

(३) तज २५ ग्राम

(४) छोटी इलायची १२ ग्राम

(५) सोंफ १२ ग्राम

(६) ब्राह्मी के सूखे पत्ते १२ ग्राम

(७) छिली हुई जेठीमध १२ ग्राम

विधि: उपरोक्त प्रत्येक वस्तु को अलग-अलग कूटकर चूर्ण बना के मिश्रित कर लें | जब चाय-कॉफी पीने की आवश्यकता महसूस हो, तब मिश्रण में से ५-६ ग्राम चूर्ण लेकर ४०० ग्राम पानी में उबालें | जब आधा पानी बाकी रहे तब नीचे उतारकर छान लें | उसमें दूध-खांड मिलाकर धीरे-धीरे पियें | चीन जैसे देशों में तो आयुर्वेदिक चाय का प्रचलन बढ़ रहा है, फिर हमारे देशवासी चाय-कॉफी पीकर अपनी तबाही क्यों करें

Thursday 23 May 2013

Know Health Benefits of Onions



Know Health Benefits of Onions~


The herbaceous plant onion belongs to family “Liliaceae” and has latin name “Allium Cepa”.



Onions are rich in certain sulphur-containing compounds.


Onion normalizes vata and increases kapha and pitta.


Onions are cooling topically but heating internally.


Onions are antiseptic, antibiotic, carminative and antimicrobial.


Onions are low in calories, fat cholesterol and sodium.


Onions contain fiber potassium, Vitamins C and B and other nutrients.


Remedy for common cold, cough, fever and sore throat –Juice of fresh onion with jaggery or onion juice with Honey will help you to cure sore throat and other conditions. For allergies also you can try the Onion Juice mix with Honey or Jaggery.


Fever - cut a large white onion and just apply it on the forehead it will help you and save you from side effects until you visit the doctor.


Bleeding from Nose – If someone is bleeding cut the onion and let the person breathe the smell of fresh cut onion. This will help to stop the blood or reduce it.


White onions are recommended in bleeding disorders to reduce bleeding. Hence it is used in conditions like bleeding piles and bleeding through nose.


Can not sleep – Start to eat daily one onion and surely this will help you to get a good night sleep. Good Home Remedy for Insomnia


Onions help increase digestive juices thus helps to have good digestion.


Burn wound, Bee bite also you can apply Onion Juice.


Onions are effective against different types of head and neck cancer.


Regular consumption of onions helps to reduce incidences of osteoporosis.


Onions are effective or used in or used to treat diabetes. Onions increase the production of Insulin in body.


Red onions help to remove the unwanted cholesterol from the body which causes heartaches and heartbreaks.


Red Onions help to preserve and keep good cholesterol in body


Daily eat one Red Onion and it will save you from coronary heart diseases


Daily use of Onion helps like erectile dysfunction, premature ejaculation and low libido.


Onion seeds help to increase sperm count and sperm motility.


Onions help to reduce pain and inflammation of joints in conditions like arthritis


Cut two onions fry them using castor oil or sesame oil with turmeric when Onions become soft , get the clean cloth pour the soft hot onions into cloth , tie the cloth and start to apply or press or tie this cloth to the aching part of the body.


Remove dark pigments and patches – Apply the Onion Juice mix with turmeric on face this will help you to remove dark pigments and patches


Use of Onion juice is recommended in ear pain and blurred vision.


For ear-ache or buzzing in the ear, heat the onion juice and put few drops in ear. This juice can also soothe an acute toothache.


Onions help to prevent tooth decaying and reduce tooth pain.


Onion has a rejuvenating effect on all tissues and body systems: the digestive, respiratory, nervous, reproductive, and circulatory systems.


Onion Juice helps to get the rid of moles also, try them on mole not all the moles but in few types Onion Juice Helps.


One spoonful of onion juice eliminates worms in the stomach of children.


Onions improve the memory and strengthen the nerves.


Regular consumption of onion reduces atherosclerosis.


Regular consumption of onion reduces risk of colon cancer


To get full benefits of Onion always try to eat Raw Onion, cut the Onion get the salt or chilly powder as per taste and eat it with Roti. Or Start to use Onion in Salads

Red Onions help to correct menstrual disorders. Eat Raw Red Onions a few days before your period.


How to make Onion Juice - Take 2 Onions cut them slice them, now pour half cup of water leave to macerate for two or three hours. Then drink 2 or 3 times a day.


As an aphrodisiac: Steam a few onions, squeeze and extract the juice (half-a-cup), add two tablespoons of ghee. Drink daily on an empty stomach.


Daily consumption of onion with raw sugar helps children to gain height.


Applying onion juice on the hair eliminates lice. Apply Onion Juice to Hair it stops the Hair Fall also.




Egyptians used onions to preserve mummies.


100 Grams of Onion Contains - Water: 86 to 89 gms, Protein: 1.2 gm, Fat 0.1 gm Starch:- 9 to 11 gmsFibre: 0.6 to 1.70 gm. Minerals: 0.4 gmCalcium: 47 mg.Phosprous 50 mg Vitamin C: 11 mg Iron 0.7 mg. B Complex


Every day how much Onion One should consume? Daily consumption of 100 Gms of Onion is advised

Tuesday 21 May 2013

सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्य 
क्या है हस्तरेखा विज्ञान-
इस विज्ञान से आप किसी का भी भविष्य जान सकते हैं। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हर इंसान अपनी किस्मत हाथ में लिखा कर जन्म लेता है। आपके कर्मों के अनुसार हाथ की रेखाएं बनती और बिगड़ती रहती है। हाथ की रेखाएं आपको समय समय पर बताती है कि कब क्या होने वाला है। इंसान जब गर्भ में होता है और जब उसके हाथ बनते हैं तब से रेखाएं भी बनना शुरु हो जाती है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हाथ का आकार और रेखाएं मिलकर आपका भविष्य बताते हैं। अगर आपकी साथ कुछ अच्छा या बुरा होने वाला है तो हाथ की रेखाएं बनती और बिगड़ती रहती है। अगर आपने कोई बुरा या अच्छा काम किया है तो भी आपके हाथ की रेखाएं बदलने लगती हैसीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्यहस्तरेखा का इतिहास-
हस्तरेखा शास्त्र भारत के अलावा चीन और रोम में भी भविष्य जाननें की महत्वपूर्ण कला है। पुराणों और ग्रन्थों का इतिहास टटोला जाए तो कहीं कहीं माना गया है कि हिंदू ऋषि वाल्मीकि जी ने एक पुस्तक लिखी जो हस्तरेखा पर है। जिसमें 567 श्लोक हैं। ये विद्या खास तौर भारत की ही है, और सैकड़ों वर्ष पुरानी इस विद्या से भविष्य ज्ञान किया जाता है। भारत से, हस्तरेखा कला का चीन, तिब्बत, मिस्र, फारस और यूरोप के अन्य देशों में प्रसार हुआ। चीन से, हस्तरेखा शास्त्र का यूनान में प्रसार हुआ, जहां अनेक्सागोरस ने इसका प्रयोग किया. लेकिन, आधुनिक हस्तरेखा शास्त्री अक्सर भविष्य करने वाली पारंपरिक तकनीक को मनोविज्ञान, संपूर्ण निदान, अनुमान के वैकल्पिक तरीकों से भी जोड़ते रहे हैं।सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्यकैसे देखा जाता है भविष्य-
हस्तरेखा शास्त्र में पूरे हाथ से या व्यक्ति की हथेली को पढ़कर उसके चरित्र और भविष्य के जीवन का मूल्यांकन किया जाता है। इस विद्या में हाथ की विभिन्न लाइनों (रेखाओं) से भविष्य पढ़ा जाता है। इसके अलावा हथेली के  उभार अंगुलियों के नीचले हिस्सों को भी ध्यान में रखकर भविष्य बताया जाता है। हस्तरेखा शास्त्र में उंगलियों, नाखूनों, उंगलियों के निशान और व्यक्ति की त्वचा की रेखाओं (डर्मेटोग्लिफिक्स), त्वचा की बनावट व रंग, आकार, हथेली के आकार और हाथ का लचीलापन भी देखते हैं।सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्य
कौन सा हाथ बताता है भविष्य, किस हाथ में छुपा है भविष्य
यद्यपि इस बात पर बहस होती रही है कि कौन सा हाथ पढऩा बेहतर है, पर दोनों का अपना महत्व है। यह माना जाता है कि बांया हाथ व्यक्ति की संभावनाओं को प्रदर्शित करता है, और दाहिना सही व्यक्तित्व का प्रदर्शक होता है। कुछ विद्वानों का कहना है कि महत्व इस बात का है कि कौन सा हाथ देखा जाता है। दाहिने हाथ से भविष्य और बाएं से अतीत देखा जाता है। बायां हाथ बताता है कि हम क्या-क्या लेकर पैदा हुए हैं और दाहिना दिखाता है कि हमने इसे क्या बनाया है। दाहिना हाथ पुरुषों का पढ़ा जाता है, जबकि महिलाओं का बायां हाथ पढ़ा जाता है। बांया हाथ बताता है कि ईश्वर ने आपको क्या दिया है, और दायां बताता है कि आपको इस संबंध में क्या करना है।
बायां हाथ दाहिने मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित किया जाता है। (नमूने की पहचान, संबंधों की समझ-बूझ) जिससे व्यक्ति की आंतरिक खासियतों, उसकी प्रकृति, आत्म, स्त्रैण गुण, और समस्याओं के निदान का प्रतिबिंबित होता है।
इसके विपरीत दाहिना हाथ बांए मस्तिष्क (तर्क, बुद्धि और भाषा) द्वारा नियंत्रित होता है, जो बाहरी व्यक्तित्व, आत्म उद्देश्य, सामाजिक माहौल का प्रभाव, शिक्षा और अनुभव को प्रतिबिंबित करता है।
एक हस्तरेखाविद् आमतौर पर व्यक्ति के 'प्रमुख हाथ से किस्मत पता कर सकते हैं। जिससे वह लिखता है/लिखती है या जिसका सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। मनुष्य जो कभी-कभी सचेत मन का प्रतिनिधित्व करता है और दूसरा हाथ अवचेतन का संकेत करता है। हस्तरेखा विज्ञान की कुछ परंपराओं में दूसरे हाथ को वंशानुगत या परिवार के लक्षणों को धारण किया हुआ माना जाता है। जिससे अतीत के जीवन या पूर्व जन्म की जानकारी मिलती है। वैसे कुछ विद्वान पुरूषों का दायां हाथ और महीलाओं का बायां हाथ देखा जाता है।सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्यक्या- क्या देख सकते हैं
हस्तरेखाओं से आप भूत, भविष्य और बर्तमान, सबकुछ देख सकते हैं आपके हाथ में छुपे किस्मत के इशारे भी असानी से देखे जा सकते हैं। हाथ के रेखाओं से प्यार, पैसा, किस्मत और पैसों से जुड़े हर मामलों के बारे में पता चल जाता है। आपके दैनिक जीवन से जुड़ी बातें भी हाथ की रेखाओं से पता चल जाती है। हर तरह की घटना-दुर्घटनाएं जो भूतकाल में आपके साथ हुई हैं या जो आपके साथ होनी है। हाथ की रेखाओं से ये भी पता चल जाता है कि आपकी किस्मत कब बदलेगी। हाथ की बनावट और रेखाएं आपका व्यक्तित्व और चरित्र भी बताती हैं।सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्य
जानिए कैसे, कब क्या होगा आपके साथ-
- अगर किसी की हथेली मोटी या भारी हो तो वो जातक लालची होता है, तथा सामान्य स्तर का जीवन यापन करता है।
- संकड़ी हथेली हो तो ऐसे लोग कमजोर प्रकृति वाले, अपने स्वार्थ को सर्वाधिक महत्व देते हैं ।
- पतली तथा कमजोर हथेली वाला जातक गरीबी का जीवन जीता है।
-  लंबी हथेली वाले स्पष्टवादी व्यक्ति होते हैं और हर बात मुंह पर बोलने वाले होते हैं।
-लंबी किंतु गोल हथेली वाले अवसरवादी व हंसमुख होते हैं तथा ऐसे लोगों का आर्थिक पक्ष अच्छा होता है।
- समचौरस हथेली यानी- हथेली की लंबाई और चौड़ाई बराबर हो तो वे व्यक्ति स्वस्थ, शांत और दृढ़ निश्चयी होते हैं। पुरुषार्थी अपने प्रयत्न से उन्नति करने वाले, किसी भी कार्य को पूरा किये बिना नहीं छोड़ते हैं।
अंगूठा
-अंगूठा जितना लंबा होगा, व्यक्ति उतना ही व अपने आप पर कंट्रोल करने वाला होता है तथा अंगूठा जितना छोटा होगा, व्यक्ति उतना ही शैतानी स्वभाव का होता है या स्वभाव से जिद्दी और आर्थिक स्थिति कमजोर होगी।
-अंगूठा जितना मोटा होगा वह व्यक्ति उतना ही गरीबी हालत में होगा।
- अंगूठा सीधा रहता हुआ दिखलाई दे और अंगूठे की नाखून वाली सबसे ऊपर का पोर पीछे की तरफ  झुकी हुई हो तो ऐसे जातक की धन दौलत रिश्तेदारों के या सगे संबंधियों के काम आती है। ऐसा जातक स्वभाव से नम्र होता है।
- सख्त हाथ वाला जातक -राज्य करने वाला तथा अपनी छबी छोडऩे वाला होता है और ऐसे जातक का जीवन रूखा और कठोर सा होता है। ऐसे जातक अपने आप को ज्यादा महत्व देते हैं। बाधाओं के आने पर भी निराश नहीं होते, बाधाओं में भी कार्य करते रहते हैं।

Friday 17 May 2013

अजवाइन के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ

अजवाइन के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ ------
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भारतीय खानपान में अजवाइन का प्रयोग सदियों से होता आया है। आयुर्वेद के अनुसार अजवाइन पाचन को दुरुस्त रखती है। यह कफ, पेट तथा छाती का दर्द और कृमि रोग में फायदेमंद होती है। साथ ही हिचकी, जी मचलाना, डकार, बदहजमी, मूत्र का रुकना और पथरी आदि बीमारी में भी लाभप्रद होती है।

सामान्य परिचय : अजवायन का पौधा आमतौर पर सारे भारतवर्ष में पाया जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल, दक्षिणी प्रदेश और पंजाब में अधिकता से पैदा होता है। अजवायन के पौधे दो-तीन फुट ऊंचे और पत्ते छोटे आकार में कुछ कंटीले होते हैं। डालियों पर सफेद फूल गुच्छे के रूप में लगते हैं, जो पककर एवं सूख जाने पर अजवाइन के दानों में परिवर्तित हो जाते हैं। ये दाने ही हमारे घरों में मसाले के रूप में और औषधियों में उपयोग किए जाते हैं।

रंग : अजवाइन का रंग भूरा काला मिला हुआ होता है।
स्वाद : इसका स्वाद तेज और चरपरा होता है।
स्वरूप : अजवाइन एक प्रकार का बीज है जो अजमोद के समान होता है।
स्वभाव : यह गर्म व खुष्क प्रकृति की होती है।
हानिकारक : 1. अजवाइन पित्त प्रकृति वालों में सिर दर्द पैदा करती है और दूध कम करती है।
2. अजवाइन ताजी ही लेनी चाहिए क्योंकि पुरानी हो जाने पर इसका तैलीय अंश नष्ट हो जाता है जिससे यह वीर्यहीन हो जाती है। काढ़े के स्थान पर रस या फांट का प्रयोग बेहतर है।
3. अजवाइन का अधिक सेवन सिर में दर्द उत्पन्न करता है।
मात्रा (खुराक) : अजवाइन 2 से 5 ग्राम, तेल 1 से 3 बूंद तक ले सकते हैं।
गुण :अजवाइन की प्रशंसा में आयुर्वेद में कहा गया है-“एका यमानी शतमन्न पाचिका” अर्थात इसमें सौ प्रकार के अन्न पचाने की ताकत होती है।
आयुर्वेदिक मतानुसार- अजवाइन पाचक, तीखी, रुचिकारक (इच्छा को बढ़ाने वाली), गर्म, कड़वी, शुक्राणुओं के दोषों को दूर करने वाली, वीर्यजनक (धातु को बढ़ाने वाला), हृदय के लिए हितकारी, कफ को हरने वाली, गर्भाशय को उत्तेजना देने वाली, बुखारनाशक, सूजननाशक, मूत्रकारक (पेशाब को लाने वाला), कृमिनाशक (कीड़ों को नष्ट करने वाला), वमन (उल्टी), शूल, पेट के रोग, जोड़ों के दर्द में, वादी बवासीर (अर्श), प्लीहा (तिल्ली) के रोगों का नाश करने वाली गर्म प्रकृति की औषधि है।
यूनानी मतानुसार : अजवाइन आमाशय, यकृत, वृक्क को ऊष्णता और शक्ति देने वाली, आर्द्रतानाशक, वातनाशक, कामोद्वीपक (संभोग शक्ति को बढ़ाने वाली), कब्ज दूर करने वाली, पसीना, मूत्र, दुग्धवर्द्धक, मासिक धर्म लाने वाली, तीसरे दर्जे की गर्म और रूक्ष होती है।
वैज्ञानिक मतानुसार : अजवाइन की रासायनिक संरचना में आर्द्रता (नमी) 7.4 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट 24.6, वसा 21.8, प्रोटीन 17.1, खनिज 7.9 प्रतिशत, कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, पोटैशियम, सोडियम, रिबोफ्लेविन, थायमिन, निकोटिनिक एसिड अल्प मात्रा में, आंशिक रूप से आयोडीन, शर्करा, सेपोनिन, टेनिन, केरोटिन और स्थिर तेल 14.8 प्रतिशत पाया जाता है। इसमें मिलने वाला सुगंधित तेल 2 से 4 प्रतिशत होता है, जिसमें 35 से 60 प्रतिशत मुख्य घटक थाइमोल पाया जाता है। मानक रूप से अजवाइन के तेल में थाइमोल 40 प्रतिशत होना चाहिए।

विभिन्न रोगों में अजवाइन से उपचार:-

1 पेट में कृमि (पेट के कीड़े) होने पर ::- *अजवाइन के लगभग आधा ग्राम चूर्ण में इसी के बराबर मात्रा में कालानमक मिलाकर सोते समय गर्म पानी से बच्चों को देना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं। कृमिरोग में पत्तों का 5 मिलीलीटर अजवाइन का रस भी लाभकारी है।
*अजवाइन को पीसकर प्राप्त हुए चूर्ण की 1 से 2 ग्राम को खुराक के रूप में छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
*अजवाइन के बारीक चूर्ण 4 ग्राम को 1 गिलास छाछ के साथ पीने या अजवाइन के तेल की लगभग 7 बूंदों को प्रयोग करने से लाभ होता है।
*अजवाइन को पीसकर प्राप्त रस की 4 से 5 बूंदों को पानी में डालकर सेवन करने आराम मिलता है।
*आधे से एक ग्राम अजवाइन का बारीक चूर्ण करके गुड़ के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसे दिन में 3 बार खिलाने से छोटे बच्चों (3 से लेकर 5 साल तक) के पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
*अजवाइन का आधा ग्राम बारीक चूर्ण और चुटकी भर कालानमक मिलाकर सोने से पहले 2 गाम की मात्रा में पिलाने से पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
*अजवाइन का चूर्ण आधा ग्राम, 60 ग्राम छाछ के साथ और बड़ों को 2 ग्राम चूर्ण और 125 मिलीलीटर छाछ में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। अजवाइन का तेल 3 से 7 बूंद तक देने से हैजा तथा पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
*25 ग्राम पिसी हुई अजवाइन आधा किलो पानी में डालकर रात को रख दें। सुबह इसे उबालें। जब चौथाई पानी रह जाये तब उतार कर छान लें। ठंडा होने पर पिलायें। यह बड़ों के लिए एक खुराक है। बच्चों को इसकी दो खुराक बना दें। इस तरह सुबह, शाम दो बार पीते रहने से पेट के छोटे-छोटे कृमि मर जाते हैं।
*अजवाइन के 2 ग्राम चूर्ण को बराबर मात्रा में नमक के साथ सुबह-सुबह सेवन करने से अजीर्ण (पुरानी कब्ज), जोड़ों के दर्द तथा पेट के कीड़ों के कारण उत्पन्न विभिन्न रोग, आध्मान (पेट का फूलना और पेट में दर्द आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
*पेट में जो हुकवर्म नामक कीडे़ होते हैं, उनका नाश करने के लिए अजवाइन का बारीक चूर्ण लगभग आधा ग्राम तक खाली पेट 1-1 घंटे के अंतर से 3 बार देने से और मामूली जुलाब (अरंडी तैल नही दें) देने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। यह प्रयोग, पीलिया के रोगी और निर्बल पर नहीं करना चाहिए।"
"2 गठिया (जोड़ों का दर्द) : :- *जोड़ों के दर्द में पीड़ित स्थानों पर अजवाइन के तेल की मालिश करने से राहत मिलेगी।
*गठिया के रोगी को अजवाइन के चूर्ण की पोटली बनाकर सेंकने से रोगी को दर्द में आराम पहुंचता है।
*जंगली अजावयन को अरंड के तेल के साथ पीसकर लगाने से गठिया का दर्द ठीक होता है।
*अजवाइन का रस आधा कप में पानी मिलाकर आधा चम्मच पिसी सोंठ लेकर ऊपर से इसे पीलें। इससे गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
*1 ग्राम दालचीनी पिसी हुई में 3 बूंद अजवाइन का तेल डालकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे दर्द ठीक होता है।"
3 मिट्टी या कोयला खाने की आदत : :- एक चम्मच अजवाइन का चूर्ण रात में सोते समय नियमित रूप से 3 हफ्ते तक खिलाएं। इससे बच्चों की मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है।
4 पेट में दर्द ::- एक ग्राम काला नमक और 2 ग्राम अजवाइन गर्म पानी के साथ सेवन कराएं।
5 स्त्री रोगों में : :- प्रसूता (जो स्त्री बच्चे को जन्म दे चुकी हो) को 1 चम्मच अजवाइन और 2 चम्मच गुड़ मिलाकर दिन में 3 बार खिलाने से कमर का दर्द दूर हो जाता है और गर्भाशय की शुद्धि होती है। साथ ही साथ भूख लगती है व शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है तथा मासिक धर्म की अनेक परेशानियां इसी प्रयोग से दूर हो जाती हैं। नोट : प्रसूति (डिलीवरी) के पश्चात योनिमार्ग में अजवाइन की पोटली रखने से गर्भाशय में जीवाणुओं का प्रवेश नहीं हो पाता और जो जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं वे नष्ट हो जाते है। जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए योनिमार्ग से अजवाइन का धुंआ भी दिया जाता है तथा अजवाइन का तेल सूजन पर लगाया जाता है।
"6 खांसी : :- *एक चम्मच अजवाइन को अच्छी तरह चबाकर गर्म पानी का सेवन करने से लाभ होता है।
*रात में लगने वाली खांसी को दूर करने के लिए पान के पत्ते में आधा चम्मच अजवाइन लपेटकर चबाने और चूस-चूसकर खाने से लाभ होगा। 1 ग्राम साफ की हुई अजवाइन को लेकर रोजाना रात को सोते समय पान के बीडे़ में रखकर खाने से खांसी में लाभ मिलता है।
*जंगली अजवाइन का रस, सिरका तथा शहद को एक साथ मिलाकर रोगी को रोजाना दिन में 3 बार देने से पुरानी खांसी, श्वास, दमा एवं कुक्कुर खांसी (हूपिंग कफ) के रोग में लाभ होता है।
*अजवाइन के रस में एक चुटकी कालानमक मिलाकर सेवन करें। और ऊपर से गर्म पानी पी लें। इससे खांसी बंद हो जाती है।
*अजवाइन के चूर्ण की 2 से 3 ग्राम मात्रा को गर्म पानी या गर्म दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार लेने से भी जुकाम सिर दर्द, नजला, मस्तकशूल (माथे में दर्द होना) और कृमि (कीड़ों) पर लाभ होता है।
*कफ अधिक गिरता हो, बार-बार खांसी चलती हो, ऐसी दशा में अजवाइन का बारीक पिसा हुआ चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, घी 2 ग्राम और शहद 5 ग्राम में मिलाकर दिन में 3 बार खाने से कफोत्पित्त कम होकर खांसी में लाभ होता है।
*खांसी तथा कफ ज्वर यानि बुखार में अजवाइन 2 ग्राम और छोटी पिप्पली आधा ग्राम का काढ़ा बनाकर 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से लाभ होता है।
*1 ग्राम अजवाइन रात में सोते समय मुलेठी 2 ग्राम, चित्रकमूल 1 ग्राम से बने काढ़े को गर्म पानी के साथ सेवन करें।
*5 ग्राम अजवाइन को 250 मिलीलीटर पानी में पकायें, आधा शेष रहने पर, छानकर नमक मिलाकर रात को सोते समय पी लें।
*खांसी पुरानी हो गई हो, पीला दुर्गन्धमय कफ गिरता हो और पाचन क्रिया मन्द पड़ गई हो तो अजवाइन का जूस दिन में 3 बार पिलाने से लाभ होता है।"
7 बिस्तर में पेशाब करना ::- सोने से पूर्व 1 ग्राम अजवाइन का चूर्ण कुछ दिनों तक नियमित रूप से खिलाएं।
"8 बहुमू़त्र (बार-बार पेशाब आना) ::- *2 ग्राम अजवाइन को 2 ग्राम गुड़ के साथ कूट-पीसकर, 4 गोली बना लें, 3-3 घंटे के अंतर से 1-1 गोली पानी से लें। इससे बहुमूत्र रोग दूर होता है।
*अजवाइन और तिल मिलाकर खाने से बहुमूत्र रोग ठीक हो जाता है।
*गुड़ और पिसी हुई कच्ची अजवाइन समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच रोजाना 4 बार खायें। इससे गुर्दे का दर्द भी ठीक हो जाता है।
*जिन बच्चे को रात में पेशाब करने की आदत होती है उन्हें रात में लगभग आधा ग्राम अजवाइन खिलायें।"
9 मुंहासे ::- 2 चम्मच अजवाइन को 4 चम्मच दही में पीसकर रात में सोते समय पूरे चेहरे पर मलकर लगाएं और सुबह गर्म पानी से साफ कर लें।
"10 दांत दर्द ::- *पीड़ित दांत पर अजवाइन का तेल लगाएं। 1 घंटे बाद गर्म पानी में 1-1 चम्मच पिसी अजवाइन और नमक मिलाकर कुल्ला करने से लाभ मिलता है।
*अजवाइन और बच बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर लुगदी (पेस्ट) बना लें। आधा ग्राम लुग्दी (पेस्ट) रात को सोते समय दाढ़ (जबड़े) के नीचे दबाकर सो जाएं। इससे दांतों के कीड़े मर जाते हैं तथा दर्द खत्म हो जाता है।"
11 अपच, मंदाग्नि में (पाचन शक्ति में) ::- भोजन के बाद नियमित रूप से 1 चम्मच सिंकी हुई व सेंधानमक लगी अजवाइन चबाएं।
12 जूं, लीख ::- 1 चम्मच फिटकिरी और 2 चम्मच अजवाइन को पीसकर 1 कप छाछ में मिलाकर बालों की जड़ों में सोते समय लगाएं और सुबह धोयें। इससे सिर में होने वाली जूं और लीखें मरकर बाहर निकल जाती हैं।
13 पुराना बुखार, मन्द ज्वर ::- 15 ग्राम की मात्रा में अजवाइन लेकर सुबह के समय मिट्टी के बर्तन में 1 कप पानी में भिगो दें। इस बर्तन को दिन में मकान में और रात को खुले आसमान के नीचे ओस में रखें। दूसरे दिन इसको सुबह के समय छानकर इस पानी को पी लें। यह प्रयोग लगातार 15 दिनों तक करें। यदि बुखार पूरी तरह से न उतरे तो यह प्रयोग कुछ दिनों तक और भी चालू रखा जा सकता है। इस उपचार से पुराना मन्द ज्वर ठीक हो जाता है और यदि यकृत और तिल्ली बढ़ी हुई हो तो वह भी ठीक हो जाते हैं साथ ही साथ भूख खुलकर लगने लगती है।
14 बांझपन (गर्भाशय के न ठहरने) पर ::- मासिक-धर्म के आठवें दिन से नित्य अजवाइन और मिश्री 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर 125 ग्राम पानी में रात्रि के समय एक मिट्टी के बर्तन में भिगों दें तथा प्रात:काल के समय ठंडाई की भांति घोंट-पीसकर सेवन करें। भोजन में मूंग की दाल और रोटी बिना नमक की लें। इस प्रयोग से गर्भ धारण होगा।
15 खटमल : :- चारपाई के चारों पायों पर अजवाइन की 4 पोटली बांधने से खटमल भाग जाते हैं।
16 मच्छर ::- अजवाइन पीसकर बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर उसमें गत्ते के टुकड़ों को तर (भिगो) करके कमरे में चारों कोनों में लटका देने से मच्छर कमरे से भाग जाते हैं।
17 भोज्य पदार्थों के लिए ::- पूरी, परांठे आदि कोई भी पकवान हो, उसको अजवाइन डालकर बनाएं। इस प्रकार के भोजन को खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है और खाई गई चीजें आसानी से पच जाती हैं। पेट के पाचन सम्बन्धी रोगों में अजवाइन लाभदायक है।
18 पाचक चूर्ण ::- अजवाइन और हर्र को बराबर मात्रा में लेकर हींग और सेंधानमक स्वादानुसार मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर सुरक्षित रख लें। भोजन के पश्चात् 1-1 चम्मच गर्म पानी से लें।
"19 सिर में दर्द होने पर ::- *200 से 250 ग्राम अजवाइन को गर्म कर मलमल के कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर तवे पर गर्म करके सूंघने से छींके आकर जुकाम व सिर का दर्द कम होता है।
*अजवाइन को साफ कर महीन चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को 2 से 5 ग्राम की मात्रा में नस्वार की तरह सूंघने से जुकाम, सिर का दर्द, कफ का नासिका में रुक जाना एवं मस्तिष्क के कीड़ों में लाभ होता है। अजवाइन और अरंड की जड़ को पीसकर माथे पर लेप करने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
*अजवाइन के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।"
20 कर्णशूल (कान दर्द) ::- 10 ग्राम अजवाइन को 50 मिलीलीटर तिल के तेल में पकाकर सहने योग्य गर्म तेल को 2-2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द मिट जाता है।
"21 पेट में पानी की अधिकता होना (जलोदर) ::- *गाय के 1 लीटर पेशाब में अजवाइन लगभग 200 ग्राम को भिगोकर सुखा लें, इसको थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गौमूत्र के साथ खाने से जलोदर मिटता है। यही अजवाइन जल के साथ खाने से पेट की गुड़गुड़ाहट और खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
*अजवाइन को बारीक पीसकर उसमें थोड़ी मात्रा में हींग मिलाकर लेप बनाकर पेट पर लगाने से जलोदर एवं पेट के अफारे में लाभ होता है।
*अजवाइन, सेंधानमक, जीरा, चीता और हाऊबेर को बराबर मात्रा में मिलाकर छाछ पीने से जलोदर में लाभ होता है।
*अजवाइन, हाऊबेर, त्रिफला, सोंफ, कालाजीरा, पीपरामूल, बनतुलसी, कचूर, सोया, बच, जीरा, त्रिकुटा, चोक, चीता, जवाखार, सज्जी, पोहकरमूल, कूठ, पांचों नमक और बायबिण्डग को 10-10 ग्राम की बराबर मात्रा में, दन्ती 30 ग्राम, निशोथ और इन्द्रायण 20-20 ग्राम और सातला 40 ग्राम को मिलाकर अच्छी तरह बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर बनाकर रख लें। यह चूर्ण सभी प्रकार के पेट की बीमारियों में जैसे अजीर्ण, मल, गुल्म (पेट में वायु का रुकना), वातरोग, संग्रहणी (पेचिश), मंदाग्नि, ज्वर (बुखार) और सभी प्रकार के जहरों की बीमारियों को समाप्त करती है। इस बने चूर्ण को 3 से 4 गर्म की मात्रा में निम्न रोगों में इस प्रकार से लें, जैसे- पेट की बीमारियों में- छाछ के साथ, मल की बीमारी में- दही के साथ, गुल्म की बीमारियों में- बेर के काढ़े के साथ, अजीर्ण और पेट के फूलने पर- गर्म पानी के साथ तथा बवासीर में- अनार के साथ ले सकते हैं।"
22 सर्दी-जुकाम : :- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेगी। इसकी 3-4 बूंद रूमाल में डालकर सूंघने से या 8-10 बूंद गर्म पानी में डालकर भाप लेने से तुरंत लाभ होता है।
23 उल्टी-दस्त ::- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 4-5 बूंदें बताशे में या गर्म पानी में डालकर आवश्यकतानुसार देने से तुरंत लाभ होता है। एक बार में लाभ न हो तो थोड़ी-थोड़ी देर में दो-तीन बार दे सकते हैं।
24 अतिसार ::- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 5 से 7 बूंद बताशे में देने से मरोड़, पेट में दर्द, श्वास, गोला, उल्टी आदि बीमारियों में तुरंत लाभ होता है।
25 कीट दंश ::- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डाट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीजें गलकर पानी बन जायेंगी। इसको बिच्छू, ततैया, भंवरी, मधुमक्खी इत्यादि जहरीले कीटों के दंश पर भी लगाने से शांति मिलती है।
"26 पेट की गड़बड़, पेट में दर्द, मंदाग्नि, अम्लपित्त ::- *3 ग्राम अजवाइन में आधा ग्राम कालानमक मिलाकर गर्म पानी के साथ फंकी लेने से पेट की गैस, पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
*अजवायन, सेंधानमक, हरड़ और सोंठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर एकत्र कर लें। इसे 1 से 2 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट का दर्द नष्ट होता है। इस चूर्ण के साथ वचा, सोंठ, कालीमिर्च, पिप्पली का काढ़ा गर्म-गर्म ही रात में पीने से कफ व गुल्म नष्ट होता है।
*प्रसूता स्त्रियों (बच्चे को जन्म देने वाली महिला) को अजवाइन के लड्डू और भोजन के बाद अजवाइन 2 ग्राम की फंकी देनी चाहिए, इससे आंतों के कीड़े मरते हैं। पाचन होता है और भूख अच्छी लगती है एवं प्रसूत रोगों से बचाव होता है।
*भोजन के बाद यदि छाती में जलन हो तो एक ग्राम अजवाइन और बादाम की 1 गिरी दोनों को खूब चबा-चबाकर या कूट-पीस कर खायें।
*अजवाइन के रस की 2-2 बूंदे पान के बीड़े में लगाकर खायें।
*अजवाइन 10 ग्राम, कालीमिर्च और सेंधानमक 5-5 ग्राम गर्म पानी के साथ 3-4 ग्राम तक सुबह-शाम सेवन करें।
*अजवाइन 80 ग्राम, सेंधानमक 40 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम, कालानमक 40 ग्राम, जवाखार 40 ग्राम, कच्चे पपीते का दूध (पापेन) 10 ग्राम, इन सबको महीन पीसकर कांच के बरतन में भरकर 1 किलो नींबू का रस डालकर धूप में रख दें और बीच-बीच में हिलाते रहें। 1 महीने बाद जब बिल्कुल सूख जाये, तो सूखे चूर्ण को 2 से 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मंदाग्नि शीघ्र दूर होती है। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है तथा अजीर्ण (अपच), संग्रहणी, अम्लपित्त इत्यादि रोगों में लाभ होता है।
*शिशु के पेट में यदि दर्द हो और सफर (यात्रा) में हो तो बारीक स्वच्छ कपड़े के अंदर अजवाइन को रखकर, शिशु की मां यदि उसके मुंह में चटायें तो शिशु का पेट दर्द तुरंत मिट जाता है।"
"27 दस्त::- *जब मूत्र बंद होकर पतले-पतले दस्त हो, तब अजवाइन तीन ग्राम और नमक लगभग 500 मिलीलीटर ताजे पानी के साथ फंकी लेने से तुरंत लाभ होता है। अगर एक बार में आराम न हो तो 15-15 मिनट के अंतर पर 2-3 बार लें।
*अजवाइन को पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम की मात्रा में लेकर मां के दूध के साथ पिलाने से उल्टी और दस्त का आना बंद हो जाता है।
*अजवाइन, कालीमिर्च, सेंधानमक, सूखा पुदीना और बड़ी इलायची आदि को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसे एक चम्मच के रूप में पानी के साथ लेने से खाना खाने के ठीक से न पचने के कारण होने वाले दस्त यानी पतले ट्टटी को बंद हो जाता है।"
"28 पेट के रोगों पर::- *एक किलोग्राम अजवाइन में एक लीटर नींबू का रस तथा पांचों नमक 50-50 ग्राम, कांच के बरतन में भरकर रख दें, व दिन में धूप में रख दिया करें, जब रस सूख जाये तब दिन में सुबह और शाम 1 से 4 ग्राम तक सेवन करने से पेट सम्बन्धी सब विकार दूर होते हैं।
*1 ग्राम अजवाइन को इन्द्रायण के फलों में भरकर रख दें, जब वह सूख जाये तब उसे बारीक पीसकर इच्छानुसार काला नमक मिलाकर रख लें, इसे गर्म पानी से सेवन करने से लाभ मिलता हैं।
*अजवाइन चूर्ण तीन ग्राम सुबह-शाम गर्म पानी से लें।
*1.5 लीटर पानी को आंच पर रखें, जब वह खूब उबलकर 1 लीटर रह जाये तब नीचे उतारकर आधा किलोग्राम पिसी हुई अजवाइन डालकर ढक्कन बंद कर दें। जब ठंडा हो जाये तो छानकर बोतल में भरकर रख लें। इसे 50-50 ग्राम दिन में सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करें।
*पेट में वायु गैस बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 मिलीलीटर मट्ठे में 2 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम कालानमक मिलाकर आवश्यकतानुसार सेवन करें।"
"29 बवासीर (अर्श) ::- *अजवाइन देशी, अजवाइन जंगली और अजवाइन खुरासानी को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें और मक्खन में मिलाकर मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से कुछ दिनों में ही मस्से सूख जाते हैं।
*अजवाइन और पुराना गुड़ कूटकर 4 ग्राम रोज सुबह गर्म पानी के साथ लें। अजवाइन के चूर्ण में सेंधानमक और छाछ (मट्ठा) मिलाकर पीने से कोष्ठबद्धकता (कब्ज) दूर होती है।
*दोपहर के भोजन के बाद एक गिलास छाछ में डेढ़ ग्राम (चौथाई चम्मच) पिसी हुई अजवाइन और एक ग्राम सैंधानमक मिलाकर पीने से बवासीर के मस्से दोबारा नहीं होते हैं।"
30 प्रमेह (वीर्य विकार) ::- अजवाइन 3 ग्राम को 10 मिलीलीटर तिल के तेल के साथ दिन में सुबह, दोपहर और शाम सेवन करने से लाभ होता है।
31 गुर्दे का दर्द ::- 3 ग्राम अजवाइन का चूर्ण सुबह-शाम गर्म दूध के साथ लेने से गुर्दे के दर्द में लाभ होता है।
"32 दाद, खाज-खुजली ::- *त्वचा के रोगों और घावों पर इसका गाढ़ा लेप करने से दाद, खुजली, कीडे़युक्त घाव एवं जले हुए स्थान में लाभ होता है।
*अजवाइन को उबलते हुए पानी में डालकर घावों को धोने से दाद, फुन्सी, गीली खुजली आदि त्वचा के रोगों में लाभ होता है।"
"33 मासिक-धर्म सम्बंधी विकार : :- *अजवाइन 10 ग्राम और पुराना गुड़ 50 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय का मल साफ होता है और रुका हुआ मासिक-धर्म फिर से जारी हो जाता है।
*अजवाइन, पोदीना, इलायची व सौंफ इन चारों का रस समान मात्रा में लेकर लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में मासिक-धर्म के समय पीने से आर्तव (माहवारी) की पीड़ा नष्ट हो जाती है।
*3 ग्राम अजवाइन चूर्ण को सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करने से मासिक धर्म की रुकावट दूर होती है और मासिकस्राव खुलकर आता है।"
34 नपुंसकता (नामर्दी) ::- 3 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के 10 मिलीलीटर रस में तीन बार 10-10 ग्राम शक्कर मिलाकर सेवन करें। 21 दिन में पूर्ण लाभ होता है। इस प्रयोग से नपुंसकता, शीघ्रपतन व शुक्राणु की कमी के रोग में भी लाभ होता है।
35 सुजाक (गिनोरिया) के रोग में ::- अजवाइन के तेल की 3 बूंदे 5 ग्राम शक्कर में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करते रहने से तथा नियमपूर्वक रहने से सुजाक में लाभ होता है।
"36 शराब की आदत ::- *शराबियों को जब शराब पीने की इच्छा हो तथा रहा न जाये तब अजवाइन 10-10 ग्राम की मात्रा में 2 या 3 बार चबायें।
*आधा किलो अजवाइन 400 मिलीलीटर पानी में पकायें, जब आधा से भी कम शेष रहे तब छानकर शीशी में भरकर फ्रिज में रखें, भोजन से पहले एक कप काढ़े को शराबी को पिलायें जो शराब छोड़ना चाहते हैं और छोड़ नहीं पाते, उनके लिए यह प्रयोग एक वरदान के समान है।"
"37 मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट) होना ::- *3 से 6 ग्राम अजवाइन की फंकी गर्म पानी के साथ लेने से मूत्र की रुकावट मिटती है।
*10 ग्राम अजवाइन को पीसकर लेप बनाकर पेडू पर लगाने से अफारा मिटता है, शोथ कम होता है तथा खुलकर पेशाब होता है।"
"38 बुखार ::- *अजीर्ण की वजह से उत्पन्न हुए बुखार में 10 ग्राम अजवाइन, रात को 125 मिलीलीटर पानी में भिगों दें, प्रात:काल मसल-छानकर पिलाने से बुखार आना बंद हो जाता है।
*शीतज्वर में 2 ग्राम अजवाइन सुबह-शाम खिलायें।
*बुखार की दशा में यदि पसीना अधिक निकले तब 100 से 200 ग्राम अजवाइन को भूनकर और महीन पीसकर पूरे शरीर पर लगायें।
*अजवाइन को भूनकर बारीक पीसकर शरीर पर मलने से अधिक पसीना आकर बुखार में बहुत लाभ मिलता है।
*10 ग्राम अजवाइन रात को 100 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर पानी को छानकर पीने से बुखार मिटता जाता है।
*5 ग्राम अजवाइन को 50 मिलीलीटर पानी में उबालकर, छानकर 25-25 ग्राम पानी 2 घण्टे के अतंराल से पीने पर बुखार और घबराहट भी कम होती है।"
"39 इन्फ्लुएन्जा : :- *10 ग्राम अजवाइन को 200 मिलीलीटर गुनगुने पानी में पकाकर या फांट तैयार कर प्रत्येक 2 घंटे के बाद 25-25 मिलीलीटर पिलाने से रोगी की बैचेनी शीघ्र दूर हो जाती है। 24 घंटे में ही लाभ हो जाता है।
*अजवाइन, दालचीनी की 2-2 ग्राम मात्रा को 50 मिलीलीटर पानी में उबालें। इसके बाद इसे ठंडाकर-छानकर सुबह और शाम पीने से लाभ होता है।
*12 ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, जब पानी आधा बच जायें तब ठंडा करके छान लें और रोजाना 4 बार पीने से लाभ होता है।"
40 चोट लगने से उत्पन्न सूजन ::- किसी भी प्रकार की चोट पर 50 ग्राम गर्म अजवाइन को दोहरे कपड़े की पोटली में डालकर सेंक करने से आराम आ जाता है। जरूरत हो तो जख्म पर कपड़ा डाल दें ताकि जले नहीं। किसी भी प्रकार की चोट पर अजवाइन का सेंक बहुत ही लाभकारी होती है।
41 मलेरिया बुखार ::- मलेरिया बुखार के बाद हल्का-हल्का बुखार रहने लगता है। इसके लिए 10 ग्राम अजवाइन को रात में 100 मिलीलीटर पानी में भिगो दें और सुबह पानी गुनगुना कर जरा सा नमक डालकर कुछ दिन तक सेवन करें।
42 बच्चों के पैरों में कांटा चुभने पर ::- कांटा चुभने के स्थान पर पिघले हुए गुड़ में पिसी हुई अजवाइन 10 ग्राम मिलाकर थोड़ा गर्म कर बांध देने से कांटा अपने आप निकल जायेगा।
43 पित्ती उछलना : :- 50 ग्राम अजवाइन को 50 ग्राम गुड के साथ अच्छी प्रकार कूटकर 5-6 ग्राम की गोली बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम ताजे पानी के साथ लेने से 1 सप्ताह में ही तमाम शरीर पर फैली हुई पित्ती दूर हो जायेगी।
"44 फ्लू (जुकाम-बुखार) ::- *3 ग्राम अजवाइन और 3 ग्राम दालचीनी दोनों को उबालकर इनका पानी पिलायें।
*12 ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, आधा रहने पर ठंडा करके छानकर पीयें। इसी प्रकार रोज 4 बार पीने से फ्लू शीघ्र ठीक हो जाता है।"
"45 जुकाम ::- *अजवाइन की बीड़ी या सिगरेट बनाकर पीने से जुकाम में लाभ होता है। अजवाइन को पीसकर एक पोटली बना लें, उसे दिन में कई बार सूंघे, इससे बंद नाक खुल जाएगी।
*6 ग्राम अजवाइन पतले कपड़े में बांधकर हथेली पर रगड़कर बार-बार सूंघें। इससे जुकाम दूर हो जायेगा।
*एक चम्मच अजवाइन और इसका चौगुना गुड़ एक गिलास पानी में डालकर उबालें। आधा पानी रहने पर छान लें तथा गर्म-गर्म पीकर ओढ़ कर सो जायें। जुकाम में लाभ होगा।"
46 आमवात : :- अजवाइन का रस जोड़ों पर मालिश करने से दर्द दूर हो जाता है।
47 शक्तिवर्धक चूर्ण : :- अजवाइन, इलायची, कालीमिर्च और सौंठ समान मात्रा में पी लें। आधा चम्मच सुबह, शाम पानी के साथ फंकी लें।
48 हृदय (दिल) शूल ::- हृदय के दर्द में अजवाइन देने से दर्द बंद होकर हृदय उत्तेजित होता है।
49 फोडे़, फुन्सी की सूजन ::- अजवाइन को नींबू के रस में पीसकर फोड़े और फुन्सी की सूजन में लेप करने से लाभ मिलता है।
50 सभी प्रकार का दांत दर्द ::- हर प्रकार का दांत दर्द अजवाइन के प्रयोग से ठीक होता है। आग पर अजवाइन डालकर दर्द करते हुए दांतों पर धूनी दें। उबलते हुए पानी में नमक और एक चम्मच पिसी हुई अजवाइन डाल कर रख दें। पानी जब गुनगुना रहें तो इस पानी को मुंह में लेकर कुछ देर रोके, फिर कुल्ला करके थूक दें। इस प्रकार कुल्ले करें। अजवाइन की धुआं और कुल्ले करने के बीच 2 घण्टे का अंतर रखें। इस प्रकार दिन में तीन बार करने से दांत दर्द ठीक हो जाता है। गले में दर्द हो तो इसी प्रकार के पानी से गरारे करने लाभ होता है।
"51 गर्भधारण कराना ::- *मासिक-धर्म के प्रारम्भ से 8 दिन तक नित्य 25 ग्राम अजवाइन और 25 ग्राम मिश्री, 125 मिलीलीटर पानी में रात को मिट्टी के बर्तन में भिगों दें। सुबह ठंडाई की तरह पीसकर पीयें। भोजन में मूंग की दाल और रोटी (बिना नमक की) लें। इस प्रयोग के दौरान संभोग करने से गर्भ धारण होगा।
*मासिक-धर्म खत्म होने के बाद 10 ग्राम अजवाइन पानी से 3-4 दिनों तक सेवन करने से गर्भ की स्थापना में लाभ मिलता है।"
52 आन्त्रवृद्धि ::- अजवाइन का रस 20 बूंद और पोदीने का रस 20 बूंद पानी में मिलाकर पीने से आन्त्रवृद्धि में लाभ होता है।
"53 श्वास या दमा रोग ::- *खुरासानी अजवाइन लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुबह-शाम सेवन करने से श्वास नलिकाओं का सिकुड़ना बंद हो जाता है और श्वास लेने में कोई भी परेशानी नहीं होती है।
*अजवाइन का रस आधा कप इसमें इतना ही पानी मिलाकर दोनों समय (सुबह और शाम) भोजन के बाद लेने से दमा का रोग नष्ट हो जाता है।
*दमा होने पर अजवाइन की गर्म पुल्टिश से रोगी के सीने को सेंकना चाहिए।
*50 ग्राम अजवाइन तथा मोटी सौंफ 50 ग्राम की मात्रा में लेते हैं तथा इसमें स्वादानुसार कालानमक मिलाकर नींबू के रस में भिगोकर आपस में चम्मच से मिलाते हैं। फिर छाया में सुखाकर इसे तवे पर सेंक लेते हैं जब भी बीड़ी, सिगरेट या जर्दा खाने की इच्छा हो तो इस चूर्ण की आधा चम्मच मात्रा का सेवन (चबाना) करें। इससे धूम्रपान की आदत छूट जाती है। इसके साथ-साथ पेट की गैस (वायु) नष्ट होती है, पाचन शक्ति बढ़ती है तथा भूख भी बढ़ जाती है। पेट की गैस, वायु निकालने के लिए यह बहुत ही सफल नुस्का (विधि, तरीका) है। "
54 वात-पित्त का बुखार ::- अजवाइन 6 ग्राम, छोटी पीपल 6 ग्राम, अडूसा 6 ग्राम और पोस्त का डोडा 6 ग्राम लेकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े को पीने से कफ का बुखार, श्वास (दमा) और खांसी दूर हो जाती है।
55 जुकाम के साथ हल्का बुखार ::- देशी अजवाइन 5 ग्राम, सतगिलोए 1 ग्राम को रात में 150 मिलीलीटर पानी में भिगोकर, सुबह मसल-छान लें। फिर इसमें नमक मिलाकर दिन में 3 बार पिलाने से लाभ मिलता है।
56 फेफड़ों की सूजन ::- लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम खुरासानी अजवायन का चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से फेफड़ों के दर्द व सूजन में लाभ मिलता है।
57 काली खांसी (हूपिंग कफ) ::- जंगली अजवाइन का रस, सिरका और शहद तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच रोजाना 2-3 बार सेवन करने से पूरा लाभ मिलता है।
58 अंजनहारी, गुहेरी ::- अजवाइन का रस पानी में घोलकर उस पानी से गुहैरी को धोने से गुहेरी जल्दी ठीक हो जाती है।
59 बालों को हटाना ::- खुरासानी अजवाइन और अफीम आधा-आधा ग्राम लेकर सिरके में घोट लें। इसे बालों में लगाने से बाल उड़ जाते हैं।
"60 वायु विकार ::- *5 ग्राम पिसी हुई अजवाइन को 20 ग्राम गुड़ में मिलाकर छाछ (मट्ठे) के साथ लेने से लाभ होता है।
*एक चम्मच अजवाइन और थोड़ा कालानमक एक साथ पीसकर इसमें छाछ मिलाकर पीने से पेट की गैस की शिकायत दूर होती है।"
61 खट्टी डकारें आना ::- अजवाइन, सेंधानमक, सेंचर नमक, यवाक्षार, हींग और सूखे आंवले का चूर्ण आदि को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम शहद के साथ चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
62 आंखों की दृष्टि के लिए : :- आंखों की रोशनी तेज करने के लिए जंगली अजवाइन की चटनी बनाकर खाना चाहिए।
"63 कब्ज ::- *अजवाइन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज समाप्त हो जाती है।
*5 ग्राम अजवाइन, 10 कालीमिर्च और 2 ग्राम पीपल को रात में पानी में डाल दें। सुबह उठकर शहद में मिलाकर 250 मिलीलीटर पानी के साथ पीने से वायु गोले का दर्द ठीक होता है।
*अजवाइन 20 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम आदि को पुदीना के लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रस में कूट लें फिर छानकर 5-5 ग्राम सुबह और शाम खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ लें।
*लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अजवाइन के बारीक चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ पीने से कब्ज समाप्त होती जाती है।
*अजवाइन और कालानमक को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में आराम देता है।"
64 मसूढ़ों का रोग ::- अजवाइन को भून व पीसकर मंजन बना लें। इससे मंजन करने से मसूढ़ों के रोग मिट जाते हैं।
65 अधिक भूख लगना(अतिझुधा)::- 20-20 ग्राम अजवाइन और सोंठ, 5 ग्राम नौसादर एक साथ पीस-छानकर नींबू के रस में मटर की तरह गोली बनाकर छाया में सुखा लें। 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ प्रयोग करें।
"66 पेट की गैस बनना ::- *अजवाइन और कालानमक को छाछ के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
*1 चम्मच अजवाइन, 2 लाल इलायची के दानों को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में कालानमक और हींग को डालकर पीने से लाभ होता है।

कविता दिल से

गान्धी से जिन्ना ने जो भी मांगा वो सम्मान दिया |
भारत माता का बन्टवारा सहकर पाकिस्तान दिया ||

लेकिन चन्द महीनों मे ही तुम औकात दिखा बैठे |
काश्मीर पर हमला करके अपनी जात दिखा बैठे ||

नेहरु गांधी की एक भूल का ये अन्जाम हुआ देखो |
साँप गले मे पडा हुआ है ये परिणाम हुआ देखो ||

हमने ढाका जीता भारत का झन्डा गङ सकता था |
दर्रा हाजी पीर जीतकर भी भारत अङ सकता था ||

लेकिन हम तो ताशकंद के समझौते मे छले गये |
और हमारे लाल बहादुर इस दुनिया से चले गये ||

पाक धरा से मिट ही जाता मौक़े टाल दिए हमने |
लाखों कैदी भुट्टो की झोली मे डाल दिए हमने ||

हम एटमी ताकत होकर भी भी लाहौर गये बस मे |
हमने शिमला समझौते की कभी नही तोडी कसमे ||

फिर भी बार- बार हमलों से भारत घायल होता है |
मै दिल्ली से पूछ रही हूँ आखिर ये क्यों होता है ||

उत्तर कहीं नही मिलता है शर्मसार हो जाता हूँ |
इसी लिए मै कविता को हथियार बनाकर गाती हूँ ||

#सूजाता पाटिल, मुम्बई पुलिस इंस्पेक्टर

Thursday 16 May 2013

Bharat ka sach kya hai

स्वर विज्ञान : एक अनूठी विद्या कब करें कौन सा काम


स्वर विज्ञान : एक अनूठी विद्या कब करें कौन सा काम
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आईने में क्या कभी आपने अपनी नाक को ध्यान से देखा है? अगर हाँ, तो बताइए हमारे जीवन में नाक की क्या उपयोगिता है? इस प्रश्न का उत्तर देने के बाद ही आगे पढ़ें।

यदि आपका उत्तर भी यही है कि नाक हमारी प्रमुख ज्ञानेन्द्रिय है, इसके द्वारा हम गंध की पहचान एवं आवश्यक प्राणवायु ग्रहण करते हैं, तो आज तक आप भी एक महत्वपूर्ण एवं लाभदायक विज्ञान से अनभिज्ञ हैं।

इसके विपरीत यदि आपके उत्तर में स्वर-विज्ञान या स्वरोदय विज्ञान का भी उल्लेख है, तो निश्चित ही आप भाग्यवान हैं एवं ईश्वर के कृपापात्र हैं, क्योंकि स्वर विज्ञान को जानने वाला कभी भी विपरीत परिस्थितियों में नहीं फँसता और फँस भी जाए तो आसानी से विपरीत परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाकर बाहर निकल जाता है।
स्वर विज्ञान एक बहुत ही आसान विद्या है। इस विद्या को प्रसिद्ध स्वर साधक योगीराज यशपालजी ने 'विज्ञान' कहकर सुशोभित किया है। इनके अनुसार स्वरोदय, नाक के छिद्र से ग्रहण किया जाने वाला श्वास है, जो वायु के रूप में होता है। श्वास ही जीव का प्राण है और इसी श्वास को स्वर कहा जाता है।

स्वर के चलने की क्रिया को उदय होना मानकर स्वरोदय कहा गया है तथा विज्ञान, जिसमें कुछ विधियाँ बताई गई हों और विषय के रहस्य को समझने का प्रयास हो, उसे विज्ञान कहा जाता है। स्वरोदय विज्ञान एक आसान प्रणाली है, जिसे प्रत्येक श्वास लेने वाला जीव प्रयोग में ला सकता है।

स्वरोदय अपने आप में पूर्ण विज्ञान है। इसके ज्ञान मात्र से ही व्यक्ति अनेक लाभों से लाभान्वित होने लगता है। इसका लाभ प्राप्त करने के लिए आपको कोई कठिन गणित, साधना, यंत्र-जाप, उपवास या कठिन तपस्या की आवश्यकता नहीं होती है। आपको केवल श्वास की गति एवं दिशा की स्थिति ज्ञात करने का अभ्यास मात्र करना है।

यह विद्या इतनी सरल है कि अगर थोड़ी लगन एवं आस्था से इसका अध्ययन या अभ्यास किया जाए तो जीवनपर्यन्त इसके असंख्य लाभों से अभिभूत हुआ जा सकता है।

सूर्य, चंद्र और सुषुम्ना स्वर
सर्वप्रथम हाथों द्वारा नाक के छिद्रों से बाहर निकलती हुई श्वास को महसूस करने का प्रयत्न कीजिए। देखिए कि कौन से छिद्र से श्वास बाहर निकल रही है। स्वरोदय विज्ञान के अनुसार अगर श्वास दाहिने छिद्र से बाहर निकल रही है तो यह सूर्य स्वर होगा।

इसके विपरीत यदि श्वास बाएँ छिद्र से निकल रही है तो यह चंद्र स्वर होगा एवं यदि जब दोनों छिद्रों से निःश्वास निकलता महसूस करें तो यह सुषुम्ना स्वर कहलाएगा। श्वास के बाहर निकलने की उपरोक्त तीनों क्रियाएँ ही स्वरोदय विज्ञान का आधार हैं।

सूर्य स्वर पुरुष प्रधान है। इसका रंग काला है। यह शिव स्वरूप है, इसके विपरीत चंद्र स्वर स्त्री प्रधान है एवं इसका रंग गोरा है, यह शक्ति अर्थात्‌ पार्वती का रूप है। इड़ा नाड़ी शरीर के बाईं तरफ स्थित है तथा पिंगला नाड़ी दाहिनी तरफ अर्थात्‌ इड़ा नाड़ी में चंद्र स्वर स्थित रहता है और पिंगला नाड़ी में सूर्य स्वर। सुषुम्ना मध्य में स्थित है, अतः दोनों ओर से श्वास निकले वह सुषम्ना स्वर कहलाएगा।

स्वर को पहचानने की सरल विधियाँ
(1) शांत भाव से मन एकाग्र करके बैठ जाएँ। अपने दाएँ हाथ को नाक छिद्रों के पास ले जाएँ। तर्जनी अँगुली छिद्रों के नीचे रखकर श्वास बाहर फेंकिए। ऐसा करने पर आपको किसी एक छिद्र से श्वास का अधिक स्पर्श होगा। जिस तरफ के छिद्र से श्वास निकले, बस वही स्वर चल रहा है।

(2) एक छिद्र से अधिक एवं दूसरे छिद्र से कम वेग का श्वास निकलता प्रतीत हो तो यह सुषुम्ना के साथ मुख्य स्वर कहलाएगा।

(3) एक अन्य विधि के अनुसार आईने को नासाछिद्रों के नीचे रखें। जिस तरफ के छिद्र के नीचे काँच पर वाष्प के कण दिखाई दें, वही स्वर चालू समझें।

जीवन में स्वर का चमत्कार.....
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स्वर विज्ञान अपने आप में दुनिया का महानतम ज्योतिष विज्ञान है जिसके संकेत कभी गलत नहीं जाते।
शरीर की मानसिक और शारीरिक क्रियाओं से लेकर दैवीय सम्पर्कों और परिवेशीय घटनाओं तक को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाला स्वर विज्ञान दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
स्वर विज्ञान का सहारा लेकर आप जीवन को नई दिशा दृष्टि डे सकते है.
दिव्य जीवन का निर्माण कर सकते हैं, लौकिक एवं पारलौकिक यात्रा को सफल बना सकते हैं। यही नहीं तो आप अपने सम्पर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति और क्षेत्र की धाराओं तक को बदल सकने का सामर्थ्य पा जाते हैं।
अपनी नाक के दो छिद्र होते हैं। इनमें से सामान्य अवस्था में एक ही छिद्र से हवा का आवागमन होता रहता है। कभी दायां तो कभी बांया। जिस समय स्वर बदलता है उस समय कुछ सैकण्ड के लिए दोनों नाक में हवा निकलती प्रतीत होती है। इसके अलावा कभी - कभी सुषुम्ना नाड़ी के चलते समय दोनों नासिक छिद्रों से हवा निकलती है। दोनों तरफ सांस निकलने का समय योगियों के लिए योग मार्ग में प्रवेश करने का समय होता है।
बांयी तरफ सांस आवागमन का मतलब है आपके शरीर की इड़ा नाड़ी में वायु प्रवाह है।
इसके विपरीत दांयी नाड़ी पिंगला है।
दोनों के मध्य सुषुम्ना नाड़ी का स्वर प्रवाह होता है।

अपनी नाक से निकलने वाली साँस को परखने मात्र से आप जीवन के कई कार्यों को बेहतर बना सकते हैं। सांस का संबंध तिथियों और वारों से जोड़कर इसे और अधिक आसान बना दिया गया है।
जिस तिथि को जो सांस होना चाहिए, वही यदि होगा तो आपका दिन अच्छा जाएगा। इसके विपरीत होने पर आपका दिन बिगड़ा ही रहेगा। इसलिये साँस पर ध्यान दें और जीवन विकास की यात्रा को गति दें।
मंगल, शनि और रवि का संबंध सूर्य स्वर से है जबकि शेष का संबंध चन्द्र स्वर से।
आपके दांये नथुने से निकलने वाली सांस पिंगला है। इस स्वर को सूर्य स्वर कहा जाता है। यह गरम होती है।
जबकि बांयी ओर से निकलने वाले स्वर को इड़ा नाड़ी का स्वर कहा जाता है। इसका संबंध चन्द्र से है और यह स्वर ठण्डा है।

शुक्ल पक्ष:-

• प्रतिपदा, द्वितीया व तृतीया बांया (उल्टा)
• चतुर्थी, पंचमी एवं षष्ठी -दांया (सीधा)
• सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी बांया (उल्टा)
• दशमी, एकादशी एवं द्वादशी –दांया (सीधा)
• त्रयोदशी, चतुर्दशी एवं पूर्णिमा – बांया (उल्टा)

कृष्ण पक्ष:-
• प्रतिपदा, द्वितीया व तृतीया दांया (सीधा)
• चतुर्थी, पंचमी एवं षष्ठी बांया (उल्टा)
• सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी दांया(सीधा)
• दशमी, एकादशी एवं द्वादशी बांया(उल्टा)
• त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावास्या --दांया(सीधा)

सवेरे नींद से जगते ही नासिका से स्वर देखें। जिस तिथि को जो स्वर होना चाहिए, वह हो तो बिस्तर पर उठकर स्वर वाले नासिका छिद्र की तरफ के हाथ की हथेली का चुम्बन ले लें और उसी दिशा में मुंह पर हाथ फिरा लें।

यदि बांये स्वर का दिन हो तो बिस्तर से उतरते समय बांया पैर जमीन पर रखकर नीचे उतरें, फिर दायां पैर बांये से मिला लें और इसके बाद दुबारा बांया पैर आगे निकल कर आगे बढ़ लें।
यदि दांये स्वर का दिन हो और दांया स्वर ही निकल रहा हो तो बिस्तर पर उठकर दांयी हथेली का चुम्बन ले लें और फिर बिस्तर से जमीन पर पैर रखते समय पर पहले दांया पैर जमीन पर रखें और आगे बढ़ लें।

यदि जिस तिथि को स्वर हो, उसके विपरीत नासिका से स्वर निकल रहा हो तो बिस्तर से नीचे नहीं उतरें और जिस तिथि का स्वर होना चाहिए उसके विपरीत करवट लेट लें। इससे जो स्वर चाहिए, वह शुरू हो जाएगा और उसके बाद ही बिस्तर से नीचे उतरें।

स्नान, भोजन, शौच आदि के वक्त दाहिना स्वर रखें।
पानी, चाय, काफी आदि पेय पदार्थ पीने, पेशाब करने, अच्छे काम करने आदि में बांया स्वर होना चाहिए।
जब शरीर अत्यधिक गर्मी महसूस करे तब दाहिनी करवट लेट लें और बांया स्वर शुरू कर दें। इससे तत्काल शरीर ठण्ढक अनुभव करेगा।

जब शरीर ज्यादा शीतलता महसूस करे तब बांयी करवट लेट लें, इससे दाहिना स्वर शुरू हो जाएगा और शरीर जल्दी गर्मी महसूस करेगा।
जिस किसी व्यक्ति से कोई काम हो, उसे अपने उस तरफ रखें जिस तरफ की नासिका का स्वर निकल रहा हो। इससे काम निकलने में आसानी रहेगी।

जब नाक से दोनों स्वर निकलें, तब किसी भी अच्छी बात का चिन्तन न करें अन्यथा वह बिगड़ जाएगी। इस समय यात्रा न करें अन्यथा अनिष्ट होगा। इस समय सिर्फ भगवान का चिन्तन ही करें। इस समय ध्यान करें तो ध्यान जल्दी लगेगा।

दक्षिणायन शुरू होने के दिन प्रातःकाल जगते ही यदि चन्द्र स्वर हो तो पूरे छह माह अच्छे गुजरते हैं। इसी प्रकार उत्तरायण शुरू होने के दिन प्रातः जगते ही सूर्य स्वर हो तो पूरे छह माह बढ़िया गुजरते हैं। कहा गया है - कर्के चन्द्रा, मकरे भानु।

रोजाना स्नान के बाद जब भी कपड़े पहनें, पहले स्वर देखें और जिस तरफ स्वर चल रहा हो उस तरफ से कपड़े पहनना शुरू करें और साथ में यह मंत्र बोलते जाएं - ॐ जीवं रक्ष। इससे दुर्घटनाओं का खतरा हमेशा के लिए टल जाता है।

आप घर में हो या आफिस में, कोई आपसे मिलने आए और आप चाहते हैं कि वह ज्यादा समय आपके पास नहीं बैठा रहे। ऎसे में जब भी सामने वाला व्यक्ति आपके कक्ष में प्रवेश करे उसी समय आप अपनी पूरी साँस को बाहर निकाल फेंकियें, इसके बाद वह व्यक्ति जब आपके करीब आकर हाथ मिलाये, तब हाथ मिलाते समय भी यही क्रिया गोपनीय रूप से दोहरा दें।

आप देखेंगे कि वह व्यक्ति आपके पास ज्यादा बैठ नहीं पाएगा, कोई न कोई ऎसा कारण उपस्थित हो जाएगा कि उसे लौटना ही पड़ेगा। इसके विपरीत आप किसी को अपने पास ज्यादा देर बिठाना चाहें तो कक्ष प्रवेश तथा हाथ मिलाने की क्रियाओं के वक्त सांस को अन्दर खींच लें। आपकी इच्छा होगी तभी वह व्यक्ति लौट पाएगा।
कई बार ऐसे अवसर आते हैं, जब कार्य अत्यंत आवश्यक होता है, लेकिन स्वर विपरीत चल रहा होता है। ऐसे समय में स्वर की प्रतीक्षा करने पर उत्तम अवसर हाथों से निकल सकता है, अत: स्वर परिवर्तन के द्वारा अपने अभीष्ट की सिद्धि के लिए प्रस्थान करना चाहिए या कार्य प्रारंभ करना चाहिए। स्वर विज्ञान का सम्यक ज्ञान आपको सदैव अनुकूल परिणाम प्रदान करवा सकता है।
कब करें कौन सा काम
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ग्रहों को देखे बिना स्वर विज्ञान के ज्ञान से अनेक समस्याओं, बाधाओं एवं शुभ परिणामों का बोध इन नाड़ियों से होने लगता है, जिससे अशुभ का निराकरण भी आसानी से किया जा सकता है।चंद्रमा एवं सूर्य की रश्मियों का प्रभाव स्वरों पर पड़ता है। चंद्रमा का गुण शीतल एवं सूर्य का उष्ण है।
शीतलता से स्थिरता, गंभीरता, विवेक आदि गुण उत्पन्न होते हैं और उष्णता से तेज, शौर्य, चंचलता, उत्साह, क्रियाशीलता, बल आदि गुण पैदा होते हैं। किसी भी काम का अंतिम परिणाम उसके आरंभ पर निर्भर करता है। शरीर व मन की स्थिति, चंद्र व सूर्य या अन्य ग्रहों एवं नाड़ियों को भलीभांति पहचान कर यदि काम शुरु करें तो परिणाम अनुकूल निकलते हैं।
स्वर वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि विवेकपूर्ण और स्थायी कार्य चंद्र स्वर में किए जाने चाहिए, जैसे विवाह, दान, मंदिर, जलाशय निर्माण, नया वस्त्र धारण करना, घर बनाना, आभूषण खरीदना, शांति अनुष्ठान कर्म, व्यापार, बीज बोना, दूर प्रदेशों की यात्रा, विद्यारंभ, धर्म, यज्ञ, दीक्षा, मंत्र, योग क्रिया आदि ऐसे कार्य हैं कि जिनमें अधिक गंभीरता और बुद्धिपूर्वक कार्य करने की आवश्यकता होती है।
इसीलिए चंद्र स्वर के चलते इन कार्यो का आरंभ शुभ परिणामदायक होता है। उत्तेजना, आवेश और जोश के साथ करने पर जो कार्य ठीक होते हैं, उनमें सूर्य स्वर उत्तम कहा जाता है। दाहिने नथुने से श्वास ठीक आ रही हो अर्थात सूर्य स्वर चल रहा हो तो परिणाम अनुकूल मिलने वाला होता है।

दबाए मानसिक विकार
कुछ समय के लिए दोनों नाड़ियां चलती हैं अत: प्राय: शरीर संधि अवस्था में होता है। इस समय पारलौकिक भावनाएं जागृत होती हैं। संसार की ओर से विरक्ति, उदासीनता और अरुचि होने लगती है। इस समय में परमार्थ चिंतन, ईश्वर आराधना आदि की जाए, तो सफलता प्राप्त हो सकती है। यह काल सुषुम्ना नाड़ी का होता है, इसमें मानसिक विकार दब जाते हैं और आत्मिक भाव का उदय होता है।

अन्य उपाय
यदि किसी क्रोधी पुरुष के पास जाना है तो जो स्वर नहीं चल रहा है, उस पैर को आगे बढ़ाकर प्रस्थान करना चाहिए तथा अचलित स्वर की ओर उस पुरुष या महिला को लेकर बातचीत करनी चाहिए। ऐसा करने से क्रोधी व्यक्ति के क्रोध को आपका अविचलित स्वर का शांत भाग शांत बना देगा और मनोरथ की सिद्धि होगी।
गुरु, मित्र, अधिकारी, राजा, मंत्री आदि से वाम स्वर से ही वार्ता करनी चाहिए। कई बार ऐसे अवसर भी आते हैं, जब कार्य अत्यंत आवश्यक होता है लेकिन स्वर विपरीत चल रहा होता है।ऐसे समय स्वर बदलने के प्रयास करने चाहिए।
स्वर को परिवर्तित कर अपने अनुकूल करने के लिए कुछ उपाय कर लेने चाहिए। जिस नथुने से श्वास नहीं आ रही हो, उससे दूसरे नथुने को दबाकर पहले नथुने से श्वास निकालें। इस तरह कुछ ही देर में स्वर परिवर्तित हो जाएगा। घी खाने से वाम स्वर और शहद खाने से दक्षिण स्वर चलना प्रारंभ हो जाता है

विज्ञान तरक्की पर-प्रकृति संतुलन पर: by (कवि अशोक कश्यप)

विज्ञान तरक्की पर-प्रकृति संतुलन पर:

हर तरफ सौन्दर्य बिखरा, प्रकृति की गोद में
आदमी मगर लगा है, प्रकृति के शोध में

शोध करके प्रकृति में, करता है ये उलट-फेर
रोज़ उलझनें सुलझाये, फिर भी उलझनों का ढेर

प्रकृति से, प्रकृति को, जन्म हुआ आदमी का
पर ये खुराफाती हुआ, रूप छोड़ा सादगी का

क्रिया-प्रतिक्रिया खोजी, पर नहीं ये समझ पाया
विश्व उँगली तले लिया, क्यों नहीं फिर चैन आया

बम एटम का बनाकर, विश्व में है मर्द बना
सोचता अब, रखूं कहाँ, ये तो है सिर दर्द बना .....?

मशीनी दुनिया बनाकर, खुद मशीन बन गया है
अकेला रहकर वो जिए, रिश्तों में घुन लग गया है

न्यूज़ चेनल बताते हैं, विश्व मुट्ठी में लिया अब
पडौसी मर गया अपना, पता चला तेरहवीं जब

खाली बैठी पत्नी, 'कुकिंग रेंज' में बनाकर खाना
बदन थुलथुला हुआ, और 'बोर हो गई' देती ताना

बदन को स्लिम बनाने, हेल्थ क्लब में अब वो आती
समय तो कुछ बचा नहीं, फालतू में फीस जाती

श्रम और समय बचाने को, सभी ये यंत्र बने
उबला खाओ ज़िम में जाओ, डाक्टरों के मन्त्र बने

संतुलन प्रकृति रखती, हमेशा हर हाल में
खुश रहो और प्यार बाँटो , मत फँसो जंजाल में
(कवि अशोक कश्यप)

Tuesday 14 May 2013

5000 year old Viamana craft was found in Afghanistan

Vimana1
Found this report, I had not seen this one before so I thought I pass it on to my readers.  It tells the real story of the Seal team that was killed in Afghanistan May 2 2011. The report tells about a truly shocking Russian Foreign Intelligence Service (SVR) report circulating in the Kremlin states that nearly 50 American military troops and technicians have been “obliterated” after the “activation” of the “Time Well” holding an ancient “Vimana” flying craft discovered late last year and believed to be over 5,000 years old. In our 21 December 2010 report World Leaders Flock To Afghanistan After Mysterious ‘Time Well’ Discovered we first detailed this incredible discovery and as we can, in part, read:
“What caused the sudden rush of these most powerful leaders of the Western World to go to Afghanistan, this report continues, was to directly view the discovery by US Military scientists of what is described as a “Vimana” found entrapped in a “Time Well” that has already caused the “disappearance” of at least 8 American Soldiers trying to remove it from the cave it has been hidden in for the past estimated 5,000 years.
From the ancient accounts found in the Sanskrit epic The Mahabharata, we know that a Vimana measured twelve cubits in circumference, with four strong wheels. Apart from its ‘blazing missiles’, The Mahabharata records the use of its other deadly weapons that operated via a circular ‘reflector’. When switched on, it produced a ‘shaft of light’ which, when focused on any target, immediately ‘consumed it with its power’.
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To the “Time Well” encasing the Vimana, this report continues, it appears to be an electromagnetic radiation-gravity field first postulated by Albert Einstein as the Unified Field Theory and long rumored to be behind the infamous American World War II experiment in teleportation called the Philadelphia Experiment that in 1943, like the events occurring in Afghanistan today, likewise, caused the sudden “disappearance” of US Soldiers. The seemingly “perpetual” power source to this mysterious “Time Well”, this SVR report says, appears to be based on the technology of Edward Leedskalnin, who claimed to have discovered the “Secret Knowledge of the Ancients” and from 1923-1951 “single-handedly and secretly” carved over 1,100 tons of coral rock by an unknown process that created one of the World’s most mysterious accomplishments known as the Coral Castle.
Most intriguing of all about this report is its stating that not just any Vimana has been discovered, but from the ancient writings contained in the cave where it was discovered, it claims that its “rightful owner” is the ancient prophet Zoroaster who was the founder of arguably one of the most important religions of all time called Zoroastrianism.” This new SVR report states that on 31 July, 3 US Marine Corps Special Operations Command Forces soldiers, and their specially-trained German Shepherd dog able to alert them to sudden changes in electromagnetic fields, were “incinerated” when the “Time Well” holding the “Vimana” activated without notice due to what is believed to have been a “reaction” from a powerful solar-blast that hit our Earth’s ionosphere. The US Department of Defense in announcing the tragic deaths of these soldiers only acknowledged that these US Marines and their dog had been killed in a “non-combat related” incident related to fire. Following this 31 July incident, this SVR report continues, the “Time Well” holding the “Vimana” was in the process of its being moved from its original location in Herat Province, Afghanistan, to Wardak Province where it was intended to be flown back from Kabul to the United States for further examination and study.
Usama Bin Ladin killed 2001
The method chosen for the transporting of the “Time Well” holding the “Vimana” was by airlifting it with a US Army CH-47F Chinook helicopter and protected it with an elite team of US Navy Seals flying separately in 4 of their super-secret stealthy Blackhawk-type helicopters first known to exist after one of them crashed in Pakistan during the 2 of May and the alleged American raid to kill Osama bin Laden.
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Upon nearing Kabul, however, this SVR report says this mysterious “Time Well” was once again suddenly “activated” on 5 August causing an electromagnetic shockwave to “obliterate” everything in the air near it and “incinerating” all of the helicopters in this air-convoy killing nearly 40 more US troops and technicians along with another of their specially trained German Shepherd dogs. The US government and their propaganda media enablers have, of course, denied the truth of this catastrophic incident opting instead to spin one of their fairy tales, and which in this case says that the deaths of these American soldiers was due to their being shot-down by a rocket propelled grenade while they were all travelling together in a US Army CH-47F Chinook helicopter. This SVR report, however, contradicts these American claims by noting that is against all US military rules to ever allow their Special Forces troops (especially their elite Navy Seals) to either fly together in such numbers or to fly into combat in anything other than their own stealth aircraft. The reason this is so, the SVR says, is exactly to keep from happening what the US is saying did happen, namely a mass loss of life of the most highly-trained forces in the American military arsenal and as we can, in part, read:
“Normally, JSOC commandos ride in tricked-out helicopters including stealth models belonging to the Army’s 160th Special Operations Aviation Regiment. But this weekend the SEALs hitched a ride in what was apparently a run-of-the-mill Army National Guard chopper.”
Late yesterday the US Special Operations Command also stated that “multiple investigations” into this incident were now underway as no certain cause for this tragic incident has yet been officially indentified, but with some experts floating the “new story” that a new type of Taliban weapon may have been involved.
Marine Colonel David Lapan
Even more curious about the American cover-up of this tragedy was Pentagon spokesman Marine Colonel David Lapan telling reporters during an off camera briefing that “no identifiable remains” of these US servicemen and the Chief of the secretive US Special Operations Command began lobbying against the release of names of those elite American commandos killed, though many have been indentified through their death notices in local hometown newspapers. President Obama, who in 2009 lifted the media ban imposed by the Bush regime on the photographing of returning US war dead, suddenly reversed himself yesterday by ordering the Pentagon not to allow any media coverage of the heroic war dead returning from Afghanistan; though he did attend their return personally in what this SVR report says was his attempt to “plead” with returning survivors of this tragedy not to ever allow the truth of what really happened to be known. To the likelihood of the American people ever accepting the truth of what really happened, instead of the lies they are being told, it appears unlikely as scientists from the Rensselaer Polytechnic Institute in New York have long found that if just 10 percent of the population believes something, their belief will always be adopted by the majority of the society.

Aviation Geeks Scramble to ID bin Laden Raid’s Mystery Copter

The May 2 raid on Osama bin Laden’s luxury compound in Abbottabad, Pakistan, had it all: painstaking intelligence-gathering, a heroic Navy SEAL assault team, satellite and drone surveillance, and biometric forensics.
And now this: a possible super-secret, stealthy helicopter, unknown to the wider world before one crashed during the assault.
Aviation specialists are picking apart pixel-by-pixel the dozen-or-so photos of the copter that have appeared online. They’re assembling digital mock-ups of the aircraft and comparing them to lost stealth designs of the 1980s and ’90s. Speculation abounds, and so far no one from the government is commenting. But depending on what the copter turns out to be, it could shed new light on everything from the abilities of U.S. commandos to the relationship between the United States and Pakistan.
Opinions about the copter seem to fall into three basic camps. The most-cautious observers believe the wreckage is from a conventional chopper that got so badly mangled during the crash that it became unrecognizable. In the center, there are those who think the helicopter is an Army MH-60 Blackhawk tweaked to make it quieter and more stealthy. On the fringes, the true believers are talking about a brand-new, radar-evading helicopter design.
Considering the proliferation of bewildering photos from the crash site, the conservative viewpoint seems unlikely. Equally, the notion of a brand-new “black” helicopter seems far-fetched, especially considering the Army’s long history of heavily modifying existing rotorcraft for secret missions.
That leaves an upgraded, stealth-optimized MH-60 as the most likely candidate — a conclusion that jibes with CIA director Leon Panetta’s assertion Tuesday that the 25-man strike team was “carried in two Blackhawk helicopters that went in.”
A story by ace reporter Sean Naylor in Army Times, published just minutes after the initial version of this post, supports this conclusion. Naylor quotes a retired Special Forces aviator saying the special Blackhawk, modified by Lockheed Martin, has “hard edges, sort of like an … F-117″ stealth fighter from the same company.
According to a source who spoke to our own Spencer Ackerman, the modifications might have taken place with the help of a mysterious Army organization called the “Technology Applications Program Office,” located at Fort Eustis, Virginia. The rumored nickname? Airwolf. That’s right, like the cheesy ’80 TV show.

Russia Reports Exploding Afghan “Time Well” Killed Elite US Navy Seals

http://www.youtube.com/watch?v=qBlwhVyZxmQ

http://www.whatdoesitmean.com/index1510.htm
http://www.wired.com/dangerroom/2011/05/aviation-geeks-scramble-to-i-d-osama-raids-mystery-copter/
http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache%3Ahttp%3A%2F%2Freinep.wordpress.com%2F2011%2F10%2F09%2F5000-year-old-viamana-craft-was-found-in-afghanistan%2F
August 10, 2011
Russia Reports Exploding Afghan “Time Well” Killed Elite US Navy Seals
By: Sorcha Faal, and as reported to her Western Subscribers

A shocking Russian Foreign Intelligence Service (SVR) report circulating in the Kremlin today states that nearly 50 American military troops and technicians have been “obliterated” after the “activation” of the “Time Well” holding an ancient Vimāna flying craft discovered late last year and believed to be over 5,000 years old. 
In our 21 December 2010 report World Leaders Flock To Afghanistan After Mysterious ‘Time Well’ Discovered we first detailed this incredible discovery and as we can, in part, read:
“What caused the sudden rush of these most powerful leaders of the Western World to go to Afghanistan, this report continues, was to directly view the discovery by US Military scientists of what is described as a “Vimāna” entrapped in a “Time Well” that has already caused the “disappearance” of at least 8 American Soldiers trying to remove it from the cave it has been hidden in for the past estimated 5,000 years.
From the ancient accounts found in the Sanskrit epic The Mahabharata, we know that a Vimāna measured twelve cubits in circumference, with four strong wheels. Apart from its 'blazing missiles', The Mahabharata records the use of its other deadly weapons that operated via a circular 'reflector'. When switched on, it produced a 'shaft of light' which, when focused on any target, immediately 'consumed it with its power'.
To the “Time Well” encasing the Vimāna, this report continues, it appears to be an electromagnetic radiation-gravity field first postulated by Albert Einstein as the Unified Field Theory and long rumored to be behind the infamous American World War II experiment in teleportation called the Philadelphia Experiment that in 1943, like the events occurring in Afghanistan today, likewise, caused the sudden “disappearance” of US Soldiers.
The seemingly “perpetual” power source to this mysterious “Time Well”, this SVR report says, appears to be based on the technology of Edward Leedskalnin, who claimed to have discovered the “Secret Knowledge of the Ancients” and from 1923-1951 “single-handedly and secretly” carved over 1,100 tons of coral rock by an unknown process that created one of the World's most mysterious accomplishments known as the Coral Castle.
Most intriguing of all about this report is its stating that not just any Vimāna has been discovered, but from the ancient writings contained in the cave where it was discovered, it claims that its “rightful owner” is the ancient prophet Zoroaster [pictured top left] who was the founder of arguably one of the most important religions of all time called Zoroastrianism.”
This new SVR report states that on 31 July, 3 US Marine Corps Special Operations Command Forces soldiers, and their specially-trained German Shepherd dog able to alert them to sudden changes in electromagnetic fields, were “incinerated” when the “Time Well” holding the “Vimāna” activated without notice due to what is believed to have been a “reaction” from a powerful solar-blast that hit our Earth’s ionosphere.  The US Department of Defense in announcing the tragic deaths of these soldiers only acknowledged that these US Marines and their dog had been killed in a “non-combat related” incident related to fire.
Following this 31 July incident, this SVR report continues, the “Time Well” holding the “Vimāna” was in the process of its being moved from its original location in Herat Province, Afghanistan, to Wardak Province where it was intended to be flown back from Kabul to the United States for further examination and study.
The method chosen for the transporting of the “Time Well” holding the “Vimāna” was by airlifting it with a US Army CH-47F Chinook helicopter and protected it with an elite team of US Navy Seals flying separately in 4 of their super-secret stealthy Blackhawk-type helicopters first known to exist after one of them crashed [3rd photo left] in Pakistan during the 2 May American raid to kill Osama bin Laden.
Upon nearing Kabul, however, this SVR report says this mysterious “Time Well” was once again suddenly “activated” on 5 August causing an electromagnetic shockwave to “obliterate” everything in the air near it and “incinerating” all of the helicopters in this air-convoy killing nearly 40 more US troops and technicians along with another of their specially trained German Shepherd dogs.
The US government and their propaganda media enablers have, of course, denied the truth of this catastrophic incident opting instead to spin one of their fairy tales, and which in this case says that the deaths of these American soldiers was due to their being shot-down by a rocket propelled grenade while they were all travelling together in a US Army CH-47F Chinook helicopter.
This SVR report, however, contradicts these American claims by noting that is against all US military rules to ever allow their Special Forces troops (especially their elite Navy Seals) to either fly together in such numbers or to fly into combat in anything other than their own stealth aircraft.  The reason this is so, the SVR says, is exactly to keep from happening what the US is saying did happen, namely a mass loss of life of the most highly-trained forces in the American military arsenal and as we can, in part, read:
“Normally, JSOC commandos ride in tricked-out helicopters — including stealth models — belonging to the Army’s 160th Special Operations Aviation Regiment. But this weekend the SEALs hitched a ride in what was apparently a run-of-the-mill Army National Guard chopper.”
Late yesterday the US Special Operations Command also stated that “multiple investigations” into this incident were now underway as no certain cause for this tragic incident has yet been officially indentified, but with some experts floating the “new story” that a new type of Taliban weapon may have been involved.
Even more curious about the American cover-up of this tragedy was Pentagon spokesman Marine Colonel David Lapan telling reporters during an off camera briefing that “no identifiable remains” of these US servicemen and the Chief of the secretive US Special Operations Command began lobbying against the release of names of those elite American commandos killed, though many have been indentified through their death notices in local hometown newspapers.
President Obama, who in 2009 lifted the media ban imposed by the Bush regime on the photographing of returning US war dead, suddenly reversed himself yesterday by ordering the Pentagon not to allow any media coverage of the heroic war dead returning from Afghanistan; though he did attend their return personally in what this SVR report says was his attempt to “plead” with returning survivors of this tragedy not to ever allow the truth of what really happened to be known.
To the likelihood of the American people ever accepting the truth of what really happened, instead of the lies they are being told, it appears unlikely as scientists from the Rensselaer Polytechnic Institute in New York have long found that if just 10 percent of the population believes something, their belief will always be adopted by the majority of the society. 
© August 10, 2011 EU and US all rights reserved. Permission to use this report in its entirety is granted under the condition it is linked back to its original source at WhatDoesItMean.Com.
[Ed. Note: Western governments and their intelligence services actively campaign against the information found in these reports so as not to alarm their citizens about the many catastrophic Earth changes and events to come, a stance that the Sisters of Sorcha Faal strongly disagrees with in believing that it is every human beings right to know the truth.  Due to our missions conflicts with that of those governments, the responses of their ‘agents’ against us has been a longstanding misinformation/misdirection campaign designed to discredit and which is addressed in the report “Who Is Sorcha Faal?”.]
They Are Going To Come For You…Why Are You Helping Them?

Saturday 11 May 2013

गायत्री मंत्र का वर्णं

 
गायत्री मंत्र का वर्णं

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्

गायत्री मंत्र संक्षेप में

गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.

हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं
आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के विधाता
हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें

मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या

गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं

ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)

इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन पहलूओं क वर्णं है - स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना.

Friday 10 May 2013

हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू नुस्खे ---


  • हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू नुस्खे -------
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    हाई ब्लड प्रेशर आजकल सामान्य हो चला है। इसकी बड़ी वजह अनियमित दिनचर्या और आधुनिक जीवन शैली है। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी लोग अधिक तेजी से इसके शिकार हो रहे हैं।

    हाई ब्लड प्रेशर में चक्कर आने लगते हैं, सिर घूमने लगता है। रोगी का किसी काम में मन नहीं लगता। उसमें शारीरिक काम करने की क्षमता नहीं रहती और रोगी अनिद्रा का शिकार रहता है। इस रोग का घरेलू उपचार भी संभव है, जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना दवाई लिए इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है। जरूरत है संयमपूर्वक नियम पालन की। आइए जानें हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू उपाय।

    हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू उपाय -

    1) नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है। इसलिए यह बात सबसे महत्वपूर्ण है कि हाई बी पी वालों को नमक का प्रयोग कम कर देना चाहिए।
    2) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण होता है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है। लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू उपाय है। यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।
    3) एक बडा चम्मच आंवले का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।

    4) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गर्म पानी में काली मिर्च पाउडर एक चम्मच घोलकर 2-2 घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही करने का बढिया उपचार है।
    5) तरबूज के बीज की गिरि तथा खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। एक चम्मच मात्रा में प्रतिदिन खाली पेट पानी के साथ लें।
    6) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।
    7) पांच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीसकर 20 ग्राम पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। 15 दिन में लाभ नजर आने लगेगा।

    हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए पपीता भी बहुत लाभ करता है, इसे प्रतिदिन खाली पेट चबा-चबाकर खाएं।
    9) नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
    10) सौंफ़, जीरा, शक्कर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।

    11) पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें, लाभ होगा।
    12) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
    13) गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई रोटी खूब चबा-चबाकर खाएं, आटे से चोकर न निकालें।
    14) ब्राउन चावल उपयोग में लाए। इसमें नमक, कोलेस्टरोल और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है।
    15) प्याज और लहसुन की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैल्शियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
    16) तीन ग्राम मेथीदाना पावडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे पंद्रह दिनों तक लेने से लाभ मालूम होता है...