जाट जाति के गौरवशाली इतिहास को कभी किसी इतिहासकार ने वर्णित नहीं किया
जाट
जाति के गौरवशाली इतिहास को कभी किसी इतिहासकार ने वर्णित नहीं किया। बहुत
खोजने पर जो मिला उसके कुछ अंश प्रस्तुत हैं जिसे पढ़कर आप स्वतः कह
उठेगें, "हमें जाट होने पर गर्व है।"
देवसंहिता के कुछ श्लोक जो जाटों के सम्बन्ध में प्रकाश डालते हैं_____
पार्वत्युवाचः
भगवन सर्व भूतेश सर्व धर्म विदाम्बरः
कृपया कथ्यतां नाथ जाटानां जन्म कर्मजम् ।।12।।
अर्थ- हे भगवन! हे भूतेश! हे सर्व धर्म विशारदों में श्रेष्ठ! हे स्वामिन!
आप कृपा करके मेरे तईं जाट जाति का जन्म एवं कर्म कथन कीजिये ।।12।।
का च माता पिता ह्वेषां का जाति बद किकुलं ।
कस्तिन काले शुभे जाता प्रश्नानेतान बद प्रभो ।।13।।
अर्थ- हे शंकरजी ! इनकी माता कौन है, पिता कौन है, जाति कौन है, किस काल में इनका जन्म हुआ है ? ।।13।।
श्री महादेव उवाच:
श्रृणु देवि जगद्वन्दे सत्यं सत्यं वदामिते ।
जटानां जन्मकर्माणि यन्न पूर्व प्रकाशितं ।।14।।
अर्थ- महादेवजी पार्वती का अभिप्राय जानकर बोले कि जगतवन्दनीय भगवती ! जाट
जाति का जन्म कर्म मैं तुम्हारी ताईं सत्य-सत्य कथन करता हूँ कि जो आज
पर्यंत किसी ने न श्रवण किया है और न कथन किया है ।।14।।
महाबला महावीर्या, महासत्य पराक्रमाः ।
सर्वाग्रे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पाक दृढ़-व्रता: || 15 ||
अर्थ- शिवजी बोले कि जाट महाबली हैं, महा वीर्यवान, महान सत्यवादी और बड़े
पराक्रमी हैं। क्षत्रिय प्रभृति क्षितिपालों के पूर्व काल में ये जाट ही
पृथ्वी पर राजे-महाराजे रहे हैं, जाट देव-जाति से भी श्रेष्ठ है, और
दृढ़-प्रतिज्ञा वाले हैं || 15 ||
श्रृष्टेरादौ महामाये वीर भद्रस्य शक्तित: ।
कन्यानां दक्षस्य गर्भे जाता जट्टा महेश्वरी || 16 ||
अर्थ- शंकरजी बोले हे भगवती ! सृष्टि के आदि में वीरभद्रजी की योगमाया के
प्रभाव से उत्पन्न जो पुरूष उनके द्वारा और ब्रह्मपुत्र दक्ष महाराज की
कन्या गणी से जाट जाति उत्पन्न होती भई, सो आगे स्पष्ट होवेगा || 16 ||
गर्व खर्चोत्र विग्राणां देवानां च महेश्वरी ।
विचित्रं विस्मवयं सत्वां पौराण कै साङ्गीपितं || 17 ||
अर्थ- शंकरजी बोले हे देवि! जाट जाति की उत्पत्ति का जो इतिहास है सो
अत्यन्त आश्चर्यमय है। इस इतिहास में विप्र जाति एवं देव जाति का गर्व खर्च
होता है। इस कारण इतिहास वर्णनकर्ता कविगणों ने जाट जाति के इतिहास को
प्रकाशमान नहीं किया है || 17 ||
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